नहीं थम रहा खूनी बारूद का अवैध कारोबार
प्रतापगढ़ : बेल्हा में पटाखा बनाने का कार्य लगभग तीन दशक से चल रहा है। लाइसेंसी से अधिक अवैध हवाईदार
प्रतापगढ़ : बेल्हा में पटाखा बनाने का कार्य लगभग तीन दशक से चल रहा है। लाइसेंसी से अधिक अवैध हवाईदार इसमें लगे हैं। जो लाइसेंसधारी हैं वे भी अग्निशमन के मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं। यही नहीं पटाखा विस्फोट से अब तक आधा दर्जन से अधिक लोगों की जान जिले में कुछ साल के भीतर जा चुकी है।
जिले में कटरा मेदनीगंज पटाखा बनाने का केंद्र माना जाता है। यहां यह कार्य बड़े पैमाने पर किया जाता है। इसके साथ ही शहर के बेगम वार्ड, अचलपुर, डेरवा, पट्टी, कुंडा, अंतू सहित कई क्षेत्रों में पटाखे का व्यवसाय होता आ रहा है। इनमें से कुछ लाइसेंसी हैं तो उनसे काफी अधिक गैरलाइसेंसी भी पटाखा बनाने का कार्य कर रहे हैं। जानकार सूत्रों की मानें तो पटाखों के कारोबारी बाहर से बारूद लाकर यहां पटाखा तैयार करते हैं। फिर उसे त्यौहारों में बेचने के लिए अलग अलग स्थानों पर भेज दिया जाता है। महिलाएं व बच्चे भी इस कार्य में पूरा सहयोग करते हैं। पुलिस की मानें तो कटरा मेदनीगंज में पटाखे का लाइसेंस मात्र चार लोगों के पास है, जबकि पचास से अधिक लोग इस कारोबार से जुड़े हैं। लाइसेंस लेने वाले हवाईदार दूसरों से पटाखा बिकवाने का कार्य करते हैं।
बारूद के ढेर पर बैठा बाबूगंज व कुंडा : गोपाल ¨सह का पुरवा पटाखा व्यापारी अब्दुल सत्तार कई वर्षों तक बाबूगंज बाजार में पटाखा बनाकर उसे बेचने का कारोबार करता रहा है। जब पत्नी का लाइसेंस बनवा लिया, तब से वह ज्यादातर समय गोपाल ¨सह का पुरवा में ही देता था। सूत्रों की मानें तो आज भी बाबूगंज बाजार में अब्दुल सत्तार द्वारा बनाए गए गोदाम में लाखों रुपये की बारुद भरी हुई है, जो कभी भी पूरे बाबूगंज बाजार के लिए घातक साबित हो सकती है। सबसे बड़ी बात है कि पटाखा व्यापारी इतनी बड़ी संख्या में पटाखा तैयार कर उसे गोदामों में ठूंस रहे हैं। स्थानीय तहसील प्रशासन व इलाकाई पुलिस को इसकी भनक तक नही है। तहसील प्रशासन व पुलिस के आंकड़ों पर गौर करते तो कुंडा कोतवाली क्षेत्र में कुल 17 लाइसेंसधारी पटाखा कारोबारी हैं। इनमें से शायद ही कोई ऐसा पटाखा व्यापारी हो जो लाइसेंस पर लिखे निर्देश का पालन करता हो, ऐसे में लाइसेंसधारी पटाखा व्यापारी आबादी के बीचों बीच यह कारोबार कर रहे हैं। अचानक लगी आग को बुझाने के लिए न तो इनके पास अग्निशमन यंत्र रहता है और न ही बालू, बस पानी के सहारे यह अपना पटाखा बनाने का काम करते हैं। पटाखा कारोबारियों के लाइसेंस पर साफ लिखा हुआ होता है कि यह अपना कारोबार आबादी से आधा किलोमीटर दूर, तालाब के किनारे, ठंड स्थान पर पटाखा बनाने का काम कर सकते हैं। प्रशासन की ढुलमुल रवैये के कारण यह लोग आबादी के बीचों बीच अपना धंधा फैलाए हुए है। इन पटाखा व्यापारियों के गोदाम कुंडा, बाबूगंज, दिलेरगंज, में हैं। इनमें लाखों रुपये की बारूद के पटाखे डंप किए गए है जो त्यौहार नजदीक आते ही आसपास के जनपदों में बेच देते हैं।
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पटाखा विस्फोट : एक नजर
-वर्ष 2005 : बड़नपुर के पास 19 सितंबर को टेंपो में विस्फोट, तीन की मौत, आधा दर्जन घायल
-वर्ष 2007 : कटरा मेदनीगंज में मोहर्रम के घर में हुए विस्फोट में तीन की मौत, दो महिलाएं घायल
-वर्ष 2012 : दीपावली के पूर्व बेगम वार्ड में हुए हादसे में तीन की मौत
-वर्ष 2015 : बुधवार को कटरा में राजाराम के घर में पटाखा बनाते समय विस्फोट, दो महिलाएं गंभीर रूप से घायल।