सूखा प्रभावित जिलों की सूची से बेल्हा गायब
प्रतापगढ़ : शासन द्वारा सूखा एवं बाढ़ प्रभावित जिलों में वसूली पर रोक लगा दी है। सूखे के मार से पूरे जनपद के लोग परेशान हैं। इसके लिए जूनियर बार एसोसिएशन ने आवाज उठाई है। अधिवक्ताओं का कहना है कि जिला प्रशासन प्रतापगढ़ को सूखाग्रस्त घोषित कराए, यदि ऐसा न हुआ तो 16 सितंबर को किसानों की महा पंचायत आयोजित की जाएगी।
बता दें कि जिले में धान सहित अन्य फसलों की बोआई तो किसी तरह कर ली गई है लेकिन बरसात न होने और बिजली के अभाव तथा नहरों के दगा देने से फसलें नष्ट होने की कगार पर हैं। यहां न तो ठीक ढंग से बरसात हो रही है और न ही सूखा पड़ रहा है। बरसात के आंकड़ों के खेल में यह जनपद उलझकर रह गया है। यही कारण है कि जिला सूखाग्रस्त भी घोषित नहीं हो पाया। अगस्त का महीना बीत गया और खेत प्यासे ही रह गए। सरकारी आंकड़े के मुताबिक जिले में अभी 40 फीसदी ही बरसात हुई है। 50 फीसदी से कम बरसात होने पर ही जिले को सूखाग्रस्त घोषित किया जाता है। प्रतापगढ़ में 101290 हेक्टेयर में धान के आच्छादन का लक्ष्य रखा गया था। इसी तरह अरहर का दस हजार हेक्टेयर में, उर्द का आठ हजार तथा बाजरा का पांच हजार हेक्टेयर में लक्ष्य निर्धारित किया गया था। कृषि विभाग का मानना है कि बीच-बीच में हुई बरसात से आछादन का लक्ष्य तो लगभग पूरा हो गया है लेकिन धान सहित सभी फसलों का उत्पादन बरसात न होने से प्रभावित होने के आसार बढ़ गए हैं। जिले में लगभग 97 सेमी औसत वर्षा होती है। इस साल विलंब से मानसून आया और वर्षा भी काफी कम हुई। कृषि विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो अब तक कुल 380 मिमी बरसात हुई है। पट्टी प्रतिनिधि के अनुसार मानसून के धोखा देने, नहरों में पानी न आने एवं बिजली विभाग की अनियमित आपूर्ति के साथ लो वोल्टेज की समस्या ने किसान की फसल को चौपट हो गई है। बिजली के अभाव में ट्यूबवेल से भी सिंचाई नहीं हो सकी। गर्मी और धूप के चलते किसानों की धान की फसल पूरी तरह सूख रही है। ऐसे में पानी की फसलों की सख्त जरूरत है। पट्टी तहसील क्षेत्र में धान की खेती 20873 हेक्टेयर क्षेत्र में होती है। इसमें अधिकांश खेत नहरों के किनारे स्थित हैं, जो नहर के पानी के भरोसे धान का उत्पादन करते हैं। जिला सूखे की चपेट में है।
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वकीलों सहित कई संगठनों ने उठाई आवाज
प्रतापगढ़ : प्रदेश सरकार द्वारा 53 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया। इसमें प्रतापगढ़ का नाम न होने से किसानों में भारी रोष है। इसे लेकर वकीलों के साथ कई संगठनों ने आवाज उठाई है। जूनियर बार एसोसिएशन की बैठक में अध्यक्षता कर रहे अध्यक्ष भूपेंद्र नाथ शुक्ल ने कहा कि जिले में किसानों की हालत भयावह है। धान समेत तमाम फसलें बिना पानी के सूख गई हैं। जिले का अधिवक्ता पहले किसान है फिर वकील। ऐसी स्थिति में एक प्रस्ताव बना कर जिलाधिकारी को भेजा गया। उनसे मांग की गई कि किसानों की हालत को देखते हुए शासन को पत्र भेजकर प्रतापगढ़ को सूखाग्रस्त घोषित किया जाय। अधिवक्ताओं ने कहा कि यदि अविलंब इस पर कार्रवाई न हुई तो 16 सितंबर को जनपद मुख्यालय पर अधिवक्ता किसान महा पंचायत आहूत की जाएगी। बैठक में गया प्रसाद मौर्य, अजय प्रताप सिंह, नीरज ओझा, निर्भय प्रताप सिंह, विद्या सागर शुक्ल, जय प्रकाश दुबे, इंद्रमणि शुक्ल, भानु प्रताप त्रिपाठी मराल, मकरंद शुक्ल, गणेश नारायण मिश्र, सूर्यकांत निराला, राजेंद्र सिंह सहित कई अधिवक्ता मौजूद रहे। इसी तरह किसान नेता लक्ष्मी नारायण पांडेय, भारतीय किसान यूनियन की जिला अध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ पम्मी सिंह ने बेल्हा को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग की है।