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ग्रामीण संस्कृति को जीवंत कर रहा अजगरा मेला

By Edited By: Published: Mon, 01 Sep 2014 01:01 AM (IST)Updated: Mon, 01 Sep 2014 01:01 AM (IST)

अजगरा, प्रतापगढ़ : ऐतिहासिकता-पौराणिकता का प्रतीक अजगरा मेला मेल मिलाप व समरसता की मिसाल बना हुआ है। जनपद के कोने-कोने से आए लोगों ने न केवल मेला देखा, बल्कि जरूरी सामानों की जमकर खरीदारी की। मेले में झूले का आनंद लिया, गुड़ वाली जलेबी भी खाई। सांस्कृतिक कार्यक्रम देख झूमे व जादू देख चकराए। साथ ही इस बहाने राष्ट्रभक्ति की भावना को मजबूत बनाने, देश को कमजोर करने वालों से सतर्क रहने का संदेश भी लिया।

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दूसरे दिन मुख्य अतिथि प्रभारी जिलाधिकारी ने स्वास्थ्य संबंधी एक गोष्ठी का आयोजन किया। मुख्य विकास अधिकारी ने बतौर प्रभारी जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी एवं अधिकारी स्वास्थ्य सेवाओं को जन-जन तक पहुंचाएं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा संचालित स्वास्थ्य योजनाओं की जानकारी जन-जन तक पहुंचाए और इसका लाभ गरीब, असहाय को स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ अवश्य मिले। डीपीआरओ कुंवर सिंह यादव द्वारा प्रायोजित जादू का कार्यक्रम प्रस्तुत कराया। इस मौके पर लोकभाषा कवि निर्झर प्रतापगढ़ी, केपी सिंह, घनश्याम तिवारी, राजाराम यादव, राजेश सिंह, अनुज केसरवानी, चंदन शुक्ला, मस्तराम सिंह, नितेश उपाध्याय, प्रधान राजकुमार सरोज, मो. जाकिर, पवन शुक्ला समेत अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहे।

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शिव तांडव ने मन मोहा

अजगरा, प्रतापगढ़ : मेले में मंच पर रंगारंग प्रस्तुतियों की धूम मची है। दूसरे दिन शिव तांडव की प्रस्तुति ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। राधा कृष्ण की नृत्य नाटिका ने वृंदावन का दृश्य उपस्थित कर दिया।

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महोत्सव का समापन आज

प्रतापगढ़ : अजगरा महोत्सव का समापन सोमवार को होगा। सांसद कुंवर हरिवंश सिंह रात आठ बजे करेंगे। इसके पहले सात बजे गुड़िया देवी का बिरहा गायन होगा।

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खेतों को जीवित कर गए अजगर बाबा

लालगंज/अजगरा, प्रतापगढ़ : अजगरा मेले के दौरान पानी जरूर बरसता है, यह विश्वास एक बार फिर मजबूत हुआ। दूसरे दिन रविवार को बरसात ने खेतों में जान डाल दी।

लोक कथा में प्रचलित है कि अजगर सर्प ने ही यक्ष बनकर युधिष्ठिर एवं अन्य चारों भाइयों से तालाब में जल पीते समय प्रश्न किया था, जो अजगरा में स्थित यक्ष युधिष्ठिर संवाद स्थली के रूप में जाना जाता है। क्षेत्र के खेतों में फसलें मुरझा गई थी, पर महोत्सव के दौरान हुई अजगर बाबा की कृपा ने किसानों के चेहरे पर खुशी लौटा दी। वह एक तरह से जीवित हो उठे। मान्यता है कि अजगरा महोत्सव में प्रत्येक वर्ष बरसात हुआ करती है, जिसके आशंका के चलते महोत्सव में हमेशा वाटर प्रूफ टेंट लगाया जाता था। इस बार जनपद के प्रशासनिक अधिकारी भी कार्यक्रम को तो सुचारु रूप से संपन्न कराना चाहते थे, पर हमेशा अजगरा महोत्सव पर हो रहे बरसात को वह भूल बैठे। यही कारण रहा कि इस बार वाटर प्रूफ टेंट नहीं लगाए गए। अजगर बाबा ने तो महोत्सव के दौरान बरसात कर जिले के आला अफसर समेत सभी को नहला दिया। बरसात ने यह बात लोगों की जुबां पर अवश्य ला दिया कि सांसारिक लोग तो एक दूसरे को मौके पर भी धोखा दे सकते है पर अजगर बाबा ने आज तक धोखा न देते हुए महोत्सव के मौके पर बरसात अवश्य की है। इससे इस स्थान का महत्व और भी बढ़ जाता है।


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