विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी पड़ रही भारी
रानीगंज, प्रतापगढ़ : रानीगंज को तहसील का दर्जा मिले अरसा गुजर गया, लेकिन अभी तक यहां उस मानक का विकास नहीं दिखता। जीवन बचाने के लिए सबसे जरूरी है इलाज की व्यवस्था। इस नजरिए से देखें तो सीएचसी में सृजित स्टाफ के सापेक्ष आधे से भी कम कर्मी ही कार्यरत हैं। यहां तो खून जांच तक के इंतजाम नहीं हैं।
स्थानीय तहसील मुख्यालय पर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक व कर्मियों की कमी से मरीजों को परेशानी उठानी पड़ रही है। यह बात अलग है कि सरकार मरीजों को हर सुविधाएं उपलब्ध कराने का ढिंढोरा पीट रही है। देखा जाए तो यहां अधीक्षक सहित सात डाक्टर के पद सृजित हैं, जिसमें फिजीशियन, सर्जन, महिला डाक्टर, विशेषज्ञ सहित शामिल हैं। एक रेडियोलाजिस्ट 3 नर्स, फार्मासिस्ट व एलटी सहित 54 पद स्वीकृत हैं, लेकिन 18 लोग ही कार्यरत हैं। इससे मरीजों का अल्ट्रासाउड नहीं हो पा रहा है। लैब टेक्निीशियन के अभाव में मलेरिया जैसी जांच में खून का परीक्षण भी नहीं हो पा रहा है। उन्हें प्राइवेट अस्पतालों में जेबें ढीली करनी पड़ रही हैं। सीएचसी में महज अधीक्षक व डा. एके मौर्य सहित दो डाक्टर ही कार्यरत हैं। यहां संविदा पर एक महिला व एक पुरुष डाक्टर भी तैनात हैं, लेकिन अन्य रोगों के विशेषज्ञ व आंख, कान, दांत के विशेषज्ञ सहित सर्जन व फिजीशियन नहीं हैं। यहां कम डाक्टर व कर्मचारियों के होने से आए दिन मरीजों को समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। उनसे विभाग के अफसरों की बात तो दूर जनप्रतिनिधि भी इस ओर मुंह मोड़े बैठे हैं। मरीज मरता क्या न करता के हालात से हर रोज गुजर रहे हैं।
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सृजित पद से कम स्टाफ की जानकारी है। विभाग के आला अफसरों से और स्टाफ मांगा गया है। शीघ्र ही तैनाती की जाएगी।
-डा. वीके पांडेय, सीएमओ