मुख्य खबर..सिसकियोंभरी रात और मायूसी में डूबी सुबह
कुंडा, प्रतापगढ़ : जगद्गुरु कुपालु जी के देहावसान का सदमा उनके चाहने वालों को आंसुओं से उबरने नहीं दे रहा है। मनगढ़ में रखे उनके पार्थिव शरीर के दर्शन को उमड़ा जनसैलाब सिसकता रहा। इसी हालात में रात गुजरी गई और शनिवार की सुबह मायूसी में डूबी रही।
शुक्रवार की रात कृपालु जी का पार्थिव शरीर भक्तिधाम मनगढ़ के सत्संग भवन में रखा गया। वहां पर देर शाम तक हजारों लोगों ने दर्शन किया। इसके बाद रात आठ बजे सत्संग हाल को बंद कर दिया गया। शनिवार को उनके आखिरी दर्शन के लिए हजारों की संख्या में लोग देश के कोने-कोने से मनगढ़ पहुंचने लगे। देखते ही देखते पूरे भक्तिधाम में हजारों की संख्या में लोग जमा हो गए। आने वाले भक्त अंतिम दर्शन के लिए सत्संग हाल के बाद बने बैरीकेडिंग से होकर सत्संग हाल में पहुंच रहे थे, जहां पर जगद्गुरु कृपालु जी का पार्थिव शरीर एक घेरे में रखा हुआ है। पुरुष भक्तों को दक्षिण दिशा से व महिलाओं को पश्चिम गेट से बाहर निकाला जा रहा था।
इसके लिए सत्संगियों के साथ ही पुलिस बल भी लगाया गया था। आने वाले सत्संगी अंतिम दर्शन कर परिक्रमा करते हुए बाहर चले जा रहे थे। बाकी रुकने वाले भक्तों को सत्संग हाल में बैठने की व्यवस्था की गई है। अपने जगद्गुरु के खोने का गम सभी की आंखों में झलक रहा था। कोई दहाड़े मारकर रो रहा था तो कोई आंसुओं से भीग रहा था। सभी के चेहरे पर गम और उदासी झलक थी। जगद्गुरु के आखिरी दर्शन के लिए क्षेत्रीय सांसद शैलेंद्र कुमार, बाबागंज विधायक विनोद सरोज, पूर्व सांसद सीएन सिंह, सत्येन्द्र सिंह, नंदलाल मौर्य, रोहित शुक्ला, कपिल द्विवेदी पहुंचे।
प्रशासनिक अधिकारियों में जिलाधिकारी विद्या भूषण, पुलिस अधीक्षक एल आर कुमार, आई जोन के साथ ही तहसील प्रशासन मौजूद रहे।
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मनगढ़ में पूरब-पश्चिम का संगम
कुंडा, प्रतापगढ़ : जगद्गुरु के चाहने वालों ने मनगढ़ में मिनी भारत बना दिया है। कोई मध्य प्रदेश से आया है तो कोई झारखंड से। इसके अलावा दुनिया के तमाम देशों के सत्संगी भी यहां पहुंचे, जिससे पूरब पश्चिम का संगम जैसा नजारा दिखा। देश व दुनिया के कोने-कोने से आने वाले भक्तों के लिए मंदिर ट्रस्ट की तरफ से ठहरने की समुचित व्यवस्था मंदिर परिसर में है।
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कल होगा अंतिम संस्कार
कुंडा, प्रतापगढ़ : जगद्गुरु का पार्थिव शरीर रविवार को भी नए आडीटोरियम में रखा रहेगा। अंतिम संस्कार 18 नवंबर को भक्ति धाम मंदिर के ठीक सामने होली उत्सव स्थल पर किया जाएगा। इसके लिए वहां पर पक्का निर्माण कराया जा रहा है। बाद में इस स्थल को समाधिस्थल का रूप दिया जाएगा।
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