अफसरशाही की बेपरवाही से नहीं बने 'घर'
पीलीभीत : न्यूरिया हुसैन में गरीबों के आवास अधूरे होने के मामले में लेकर सीएनडीएस और जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) की गर्दन फंस गई हैं, क्योंकि उसने लाभार्थी अंश न मिलने का हवाला देते हुए करीब 450 आवासों के निर्माण में अब तक हाथ नहीं लगाया है। जबकि नोडल एजेंसी होने के बावजूद डूडा ने इसे लेकर कभी भी उच्चाधिकारियों की मीटिंग नहीं कराई। खाद्य आयुक्त के सामने मामला उठा तो डीएम के निर्देश पर अपर जिलाधिकारी को इस मामले की जांच सौंपी गई है।
इंटीग्रेटेड स्लम हाउसिंग डेवलपमेंट प्रोग्राम (आइएचएसडीपी) के तहत वर्ष 2011 में न्यूरिया हुसैन में गरीबों के लिए आठ सौ आवास निर्माण को ग्रीन सिग्नल मिला था। एक आवास की लागत ढाई लाख है। इसमें 15 हजार रुपये लाभार्थियों को अंश के तौर पर तय हुए। गरीबों के लिए इस खास योजना में सीएनडीएस को कार्यदायी संस्था बनाया गया। इसकी नोडल एजेंसी डूडा है। शुरुआत में कुछ आवासों को जैसे तैसे पूरा किया गया। बाद में इस योजना से डूडा और सीएनडीएस ने किनारा कर लिया। हालत यह है कि यहां 450 आवास बनने बाकी है। सीएनडीएस ने खुद की लापरवाही को छिपाने के लिए तर्क दिया कि लाभार्थी अपना अंश नहीं जमा कर रहे। जबकि कार्यदायी संस्था ने भी उस धनराशि से आवास नहीं बनाया, जो उसे अपने आप से खर्च करनी थी। ऐसे में यहां आवासों का निर्माण कार्य काफी वक्त से बंद चल रहा है। हाल ही में विकास कार्यो की नोडल अधिकारी अर्चना अग्रवाल के सामने यह मामला उठा तो उन्होंने इस मामले में डूडा और सीएनडीएस दोनों को ही जिम्मेदार माना। इसलिए उनके निर्देश पर डीएम ओमनारायण सिंह ने इस मामले में अपर जिलाधिकारी आनंद कुमार को जांच अधिकारी नामित कर दिया है।
इस मामले की पूरी पारदर्शिता से जांच होगी। सभी बिंदुओं पर रिपोर्ट तैयार कर रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी जाएगी।
आनंद कुमार, एडीएम
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर