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यहां तो '¨जदा' हैं मिसाइल मैन

पीलीभीत : शख्स तो आता और चला जाता है, लेकिन शख्सियत चिरकाल तक मौजूद रहती है। पुरा के जरिए मिशन 202

By Edited By: Published: Tue, 28 Jul 2015 11:08 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2015 11:08 PM (IST)
यहां तो '¨जदा' हैं मिसाइल मैन

पीलीभीत : शख्स तो आता और चला जाता है, लेकिन शख्सियत चिरकाल तक मौजूद रहती है। पुरा के जरिए मिशन 2020 का सपने देखने वाले मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जाने पर रोने वालों में पीलीभीत के डॉ. तस्लीम हसन खान भी हैं, जिन्होंने कलाम के इसी सपने (पुरा) पर शोध पूरा किया है। वह जुलाई 2007 में पंतनगर विश्वविद्यालय के उस आयोजन के भी साक्षी हैं, जिसमें भारत सरकार की ओर से कलाम के इस सपने को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में स्वीकार न किए जाने से आहत थे। उन्होंने इसे आगे बढ़ाने के लिए शिक्षाविदों का आह्वान किया था।

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वैसे तो डॉ. तस्लीम हसन खां खानदान में पीएचडी हासिल करने वाले आठवें शख्स हैं, लेकिन उन्होंने शोध का विषय वही चुना जो पुरा (प्रोवाइ¨डग अर्बन एमेंटीज इन रुरल एगियाज) के जरिए डॉ. कलाम ने इस देश को महाशक्ति बनाने का मंत्र दिया था। शहर के सराय खां मुहल्ला निवासी तस्लीम ने जब डॉ. कलाम के ¨हदुस्तान को विकसित देश बनाने के सपने के बारे में सुना तो उन्होंने इसे आगे बढ़ाने की ठानी। वर्ष 2006 में उन्होंने इसी विषय पर रुहेलखंड विश्वविद्यालय से प्रोफेसर एनएल शर्मा व प्रोफेसर आरपी अग्रवाल के निर्देशन में पीएचडी शुरू की। पुरा का मतलब है ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाएं प्रदान करना। देश की तरक्की का मंत्र जो महात्मा गांधी ने यह कहते हुए दिया था कि देश की आत्मा गांवों में बसती है को आगे बढ़ाते हुए डॉ. कलाम ने मिशन 2020 तैयार किया। पुरा के जरिए उन्होंने लक्ष्य तक पहुंचने का मार्ग भी सुझा दिया। अब बारी सरकार की थी कि इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में मंजूरी देती, लेकिन किन्ही कारणों से ऐसा नहीं हो सका तो खुद डॉ.कलाम ने इसे आगे बढ़ाने के लिए देश के शिक्षाविदों का आह्वान किया। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा था कि जब तक राष्ट्र के प्रत्येक गांव में पर्याप्त बिजली, जलापूर्ति, सड़क, यातायात, दूरसंचार, उच्च स्तरीय विद्यालय, स्वास्थ्य सुविधाएं, कृषि उत्पादों के विपणन के लिए सुविधाएं नहीं होंगी तब तक राष्ट्र निर्माण का काम अधूरा है। ¨चता थी कि ग्रामीण क्षेत्रों से लोग शहरों की ओर पलायन क्यों कर रहे हैं? जब हम उक्त सभी सुविधाएं गांवों में ही दे देंगे तो पलायन स्वत: रुक जाएगा और लोग गांव में रहकर ही देश की तरक्की में योगदान देने लगेंगे। डॉ.कलाम की ओर से दिए गए इसी विषय पर डॉ. टीएच खान ने 2010 में अपनी पीएचडी पूरी की तथा वर्ष 2012 में तत्कालीन राज्यपाल डॉ.बाबू लाल जोशी ने उन्हें उपाधि प्रदान की। महामहिम ने भी कहा था कि आप बहुत खुशकिस्मत हैं कि डॉ.कलाम के विषय पर शोध किया है।

डॉ.टीएच खान कहते हैं कि कलाम साहब विचारों के जरिए अजर-अमर हैं। डॉ.कलाम चाहते थे कि 2020 तक देश के अंदर अच्छे स्कालर और मेधावी छात्रों का हब बन जाए, जिसमें भ्रष्टाचार, बच्चों व महिलाओं में अपराध और गरीबी जैसी समस्याएं नहीं होंगी। डॉ. खान को 11 अगस्त 2007 का वह सौभाग्यशाली दिन अभी भी याद है, जब वह पंत नगर विश्वविद्यालय में डॉ. कलाम से रूबरू हुए थे तथा अपने शोध के संदर्भ में चर्चा की थी। वह बताते हैं कि पुरा को पायलट प्रोजेक्ट के रूप न लिए जाने से आहत जरूर थे, लेकिन कहीं से निराश नहीं थे। उन्हें उम्मीद देश के मेधावी छात्रों व शिक्षाविदों से रही कि मिशन को अंजाम तक पहुंचा देंगे। डॉ.खान ने शोध की एक प्रति भी प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल के जरिए डॉ. कलाम तक पहुंचाई थी। दो प्रतियां प्रदेश व दे प्रतियां केंद्र सरकार को भी भेजी थीं, जिससे योजनाओं के निर्माण में उपयोग हो सके। वह कहते हैं कि बार्डर विकास जैसी योजनाओं में उस शोध की स्पष्ट छाप है। वह डॉ.कलाम की ओर से प्राय: पढ़े जाने वाले अल्लामा इकबाल के शेर दोहराते हैं, जिसके जरिए नौजवान प्रतिभाओं में कुछ कर गुजरने का जज्बा भरते थे। दयारे इश्क में अपना मुकाम पैदा कर, नया जमाना नई सुबहो शाम पैदा कर। बातचीत का सिलसिला डॉ. कलाम को समर्पित एक शेर के साथ थमता है-

दिलों में इश्क के जज्बे जगा दिए तुमने, जहां थे खार वहां पर गुल खिला दिया तुमने।

हर इक मुकाम पर तुम्हारा ही नाम आता है, कुछ ऐसे नक्श दिलों पर बैठा दिए तुमने।।


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