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जन शिकायतों के निस्तारण की गति सुस्त

पीलीभीत : शहर के नागरिकों को अपनी रोजमर्रा की समस्याओं का निस्तारण कराने के लिए भी दफ्तर के चक्कर का

By Edited By: Published: Thu, 02 Jul 2015 09:55 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2015 09:55 PM (IST)
जन शिकायतों के निस्तारण की गति सुस्त

पीलीभीत : शहर के नागरिकों को अपनी रोजमर्रा की समस्याओं का निस्तारण कराने के लिए भी दफ्तर के चक्कर काटने पड़ते हैं। इसके बाद भी उनकी समस्या का हफ्तों तक निस्तारण नहीं हो पाता। आम नागरिकों की बात अलग है, यहां तो पालिका के सभासद भी शिकायतों के निस्तारण के लिए चक्कर काटने को मजबूर हो जाते हैं। पालिका बोर्ड की बैठकों के दौरान कई बार यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया लेकिन हालत फिर भी नहीं सुधरे हैं।

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अगर किसी नागरिक का हाउस टैक्स ज्यादा लगाकर भेज दिया गया तो उसे न जाने कितने चक्कर काटने पड़ेंगे। इसके बाद भी यह भरोसा नहीं कि कार्रवाई हो ही जाए। इसी प्रकार कई लोग जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आन लाइन आवेदन कर देते हैं। इसके बाद उन्हें लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ती है। जब पूरा पखवाड़ा गुजर जाता है और प्रमाण पत्र जारी नहीं होता, तब वे पालिका दफ्तर के चक्कर काटते हैं। जब पालिका कार्यालय में उनकी सुनवाई नहीं होती तो तहसील दिवस में प्रार्थना पत्र देते हैं। वहां से पालिका के अधिशासी अधिकारी को ऐसे प्रार्थना पत्र इस निर्देश के साथ सौंप दिए जाते हैं कि एक हफ्ते के भीतर निस्तारण करें। हालांकि एक हफ्ते में निस्तारण कई बार नहीं हो पाता है। अगर घर के आसपास नगर पालिका परिषद की पेयजल पाइप लाइन लीक हो रही है तो भी शिकायत करने पर त्वरित कार्रवाई नहीं की जाती है। नगर पालिका परिषद में करीब साल भर से अधिशासी अधिकारी का पद रिक्त चल रहा है। सदर के तहसीलदार (न्यायिक) अरुण मणि त्रिपाठी को प्रभारी अधिशासी अधिकारी की जिम्मेदारी जिलाधिकारी ने वैकल्पिक व्यवस्था के अंतर्गत सौंप रखी है लेकिन वह नियमित रूप से पालिका के दफ्तर में नहीं बैठते। ऐसे में अन्य अफसरों पर कोई अंकुश नहीं रह गया है।

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इनसेट

वर्तमान में कोई भी प्रार्थना पत्र लंबित नहीं है। प्रार्थना पत्र मिलने के बाद जैसी स्थिति होती है, उसी के अनुसार निस्तारण का समय तय किया जाता है। कई बार विभिन्न कारणों से कुछ देरी भी हो जाती है लेकिन निस्तारण अवश्य किया जाता है। इस महीने कुल कितने प्रार्थना पत्र आए, इसका ब्योरा फिलहाल दे पाना संभव नहीं है।

अरुण मणि त्रिपाठी, प्रभारी अधिशासी अधिकारी

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फोटो-2पीआइएलपी-21

शहर के जागरुक नागरिक होने के नाते नियम कायदे का पालन करते हैं लेकिन नगर पालिका में जन शिकायतों के निस्तारण में लापरवाही कम नहीं हो रही। जैसी अव्यवस्था का आलम चल रहा है, उसमें नगर पालिका पांच में से दो नंबर से ज्यादा की हकदार नहीं है।

विशाल सक्सेना, मुहल्ला बुजकसावान

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कालोनी में नियमित रूप से सफाई न होने की शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो पाती। यह नागरिकों का दुर्भाग्य है। नियम का पालन करते हुए इसके लिए लिखित शिकायती पत्र दिया गया लेकिन सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में नगर पालिका को पांच में से शून्य अंक मिलना चाहिए।

राजेश गंगवार, निरंजन कुंज कालोनी

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नगर पालिका में जब शिकायत की सुनवाई नहीं होती तो तहसील दिवस में प्रार्थना पत्र देना पड़ा। कई बार सीधे डीएम से शिकायत की, तब कार्रवाई हुई। पालिका प्रशासन को नागरिक समस्याओं के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए, जिसका अभाव है। जहां तक नंबर देने की बात है तो दो अंक दिए जा सकते हैं।

एमपी ¨सह, अवधनगर

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फोटो-2पीआइएलपी-24

सरकारी कर्मचारी कालोनी में तमाम समस्याएं हैं। पेयजल की समस्या आए दिन पैदा हो जाती है। इसके लिए शिकायत किए जाने के बाद भी कर्मचारी लापरवाही बरतते हैं। हर नागरिक नियमों का पालन करना चाहता है लेकिन पालिका के अफसर लापरवाह है। ऐसे में पालिका को जन शिकायतों के निस्तारण में पांच में से सिर्फ एक अंक ही दिया जा सकता है।

प्रतिभा, नकटादाना कालोनी

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फोटो-2पीआइएलपी-25

बरेली स्मार्ट शहर बनने जा रहा है। ऐसे में यहां के नागरिकों को भी स्मार्ट सिटिजन बनना होगा। जागरुक लोग ऐसा कर भी रहे हैं। हालांकि शहर की समस्याओँ के लिए जिम्मेदार नगर पालिका ने इस दिशा में अभी तक कदम नहीं बढ़ाया। ऐसे में उसे पांच में से सिर्फ एक अंक दिया जा सकता है। वह भी इसलिए कि खुद पालिकाध्यक्ष लोगों की समस्याओं को सुन लेते हैं।

कंचन सरीन, मुहल्ला तखान


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