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टाइगर रिजर्व में नौ वन माफिया चिन्हित

पीलीभीत : टाइगर रिजर्व में लुप्तप्राय बाघ को बचाने के लिए वन अफसर एड़ी से चोटी तक का जोर लगा रहे हैं

By Edited By: Published: Tue, 28 Apr 2015 09:21 PM (IST)Updated: Tue, 28 Apr 2015 09:21 PM (IST)

पीलीभीत : टाइगर रिजर्व में लुप्तप्राय बाघ को बचाने के लिए वन अफसर एड़ी से चोटी तक का जोर लगा रहे हैं, लेकिन कोई खास सफलता हाथ नहीं लग पा रही है। टाइगर रिजर्व में पांच साल पहले चिन्हित किए गए वन माफिया की सूची दोबारा जारी कर दी गई। इन वन माफिया पर सख्त मॉनीट¨रग करने पर जोर दिया गया।

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उत्तराखंड और नेपाल राष्ट्र से टाइगर रिजर्व की सीमा सटी होने की वजह से जंगल संवेदनशील रहता है। भारत-नेपाल गोपनीय वन्यजीव सूचनाओं को साझा करता है। इसके बावजूद टाइगर रिजर्व में वन्यजीव शिकार की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही है। वर्ष 2011-12 में नौ वन माफिया को चिन्हित किया गया था, जिसमें माधोटांडा थाना क्षेत्र के मैनाकोट निवासी श्याम बिहारी, मैनाकोट गांव निवासी कन्हईलाल, मैनाकोट गांव निवासी जसवीर, पूरनपुर थाना क्षेत्र के गांव टांडा छत्रपति निवासी नोखेलाल, दियोरिया कलां निवासी बड़े लल्ला, दियोरिया कलां निवासी इबान, शेरपुर कलां निवासी बहीर हसन, पकड़िया निवासी हैदर अंसारी, शेरपुर कलां निवासी नसीम उर्फ गोल्टू शामिल हैं। चार पर गैंगेस्टर, दो पर गुंडा एक्ट व तीन पर अन्य धाराओं में कार्रवाई की गई थी। प्रभागीय वनाधिकारी कैलाश प्रकाश का कहना है कि पांच साल पहले वन माफिया चिन्हित किया गया था। इन लोगों पर कड़ी निगाह रखी जा रही है। इनके मूवमेंट की मॉनीट¨रग हो रही है।


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