प्राधिकरण की गलती का खामियाजा भुगत रहे आवंटी
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की गलती का खामियाजा अब आवंटियों को भुगतान पड़
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की गलती का खामियाजा अब आवंटियों को भुगतान पड़ रहा है। बकाया भुगतान और भूखंडों की रजिस्ट्री कराने के लिए विभागीय प्रबंधक आवंटियों के गलत पते पर पत्र व्यवहार करते रहे। आवंटियों ने अपना पता बदलवाने के लिए कई-कई बार प्राधिकरण को पत्र भेजे। लेकिन प्रबंधकों ने फाइलों में आवंटियों का पता नहीं बदला। बैंक और गलत पते पर आवंटियों के पत्र जाते रहे। इससे आवंटी निर्धारित अवधि में न तो भूखंडों की रजिस्ट्री करा पाए और न ही किश्तों का भुगतान कर सके। अब प्राधिकरण आवंटियों से भारी-भरकम जुर्माना वसूल रहा है।
दरअसल, भूखंडों के लिए आवेदन करते समय आवंटी बैंकों से कर्ज लेकर रजिस्ट्रेशन कराते हैं। कर्ज देने की वजह से बैंक फार्म में आवंटी के मूल पते को लिखने की बजाय अपना पता लिख देते हैं। नियमानुसार ड्रा में भूखंड निकलने के बाद बैंक के पते को बदलकर आवंटी के मूल पते को भूखंड की फाइल में दर्ज कर दिया जाता है। लेकिन विभागीय प्रबंधकों की लापरवाही के चलते अनेक आवंटियों का पता नहीं बदला गया। पिछले कुछ समय से प्राधिकरण कर्ज में डूबा हुआ है। इस समय प्राधिकरण पर विभिन्न बैंकों का करीब साढ़े सात हजार करोड़ रुपये बकाया है।
कर्ज से उभरने के लिए प्राधिकरण बकाया धनराशि को वसूलने के लिए आवंटियों को पत्र भेज रहा है। प्राधिकरण द्वारा तीन बार पत्र भेजने के बाद भी जो आवंटी बकाया भुगतान नहीं कर रहे अथवा भूखंडों की रजिस्ट्री कराने के लिए आगे नहीं आ रहे, उनके आवंटन रद किए जा रहे हैं। प्राधिकरण ने करीब डेढ़ सौ आवंटियों को नोटिस दिया है। समाचार पत्रों में इसकी जानकारी मिलने के बाद पिछले एक माह में अनेक आवंटी प्राधिकरण पहुंचे। फाइल की जांच कराने पर पता चला कि उनका आवंटन प्राधिकरण के पत्र का जवाब न देने की वजह से निरस्त हो गया है। फाइल में बैंकों का ही पता दर्ज है। अनेक आवंटियों के गलत पते फाइलों में लिखे हुए हैं। आवंटन रद होने के बाद अब आवंटी प्राधिकरण के चक्कर लगा रहे हैं।
कई-कई बार नोटिस भेजने के बाद भी जब आवंटी जवाब नहीं देते हैं और बकाया भुगतान नहीं करते हैं तो प्राधिकरण भूखंड आवंटन निरस्त करने की कार्रवाई करता है। फाइलों में गलत पता लिखा हुआ है तो यह गलती भी आवंटियों की है। उन्हें प्राधिकरण आकर फाइल में पता सही लिखवाना चाहिए था। बावजूद इसके किसी आवंटी के साथ अन्याय नहीं होगा। वे अपनी बात रखें। प्राधिकरण की गलती मिली तो आवंटियों को राहत दी जाएगी।
-दीपक अग्रवाल, सीईओ, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण।