सत्र के बीच में अध्यापकों को निकालने पर फटकार
जागरण संवाददाता, नोएडा: डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) ने सत्र के बीच मे
जागरण संवाददाता, नोएडा:
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) ने सत्र के बीच में अध्यापकों को निकालने पर कॉलेजों को फटकार लगाई है। कहा कि इससे छात्रों के पठन-पाठन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कॉलेजों को निर्देश दिया है कि वे किसी भी अध्यापक को निकालने से पहले उसे बाकायदा नोटिस दें।
नोएडा-ग्रेटर नोएडा समेत प्रदेश के कई इंजीनिय¨रग और प्रबंधन कॉलेजों ने सत्र की शुरुआत होते ही कई अध्यापकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय के साथ-साथ प्रदेश सरकार को इसकी शिकायत की। विश्वविद्यालय ने शिकायत को गंभीरता से लिया और कॉलेजों को निर्देश दिया है कि सेमेस्टर के बीच में किसी भी प्रोफेसर को बाहर न निकालें। यदि किसी लेक्चरर या असिस्टेंट प्रोफेसर ने कॉलेज में दो वर्ष और एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर ने एक वर्ष पूरा कर लिया है तो न्यूनतम तीन माह पूर्व नोटिस देना अनिवार्य है। अन्य कर्मियों को कम से कम एक माह पूर्व नोटिस देना होगा। विश्वविद्यालय ने एक अधिसूचना जारी कर कहा है कि यदि किसी कोर्स की ब्रांच में दाखिला कम हुआ है तो कॉलेज को अगले सत्र से उसमें दाखिला बंद कर देना चाहिए। अध्यापकों को अप्रैल या मई में ही इसकी सूचना दे दी जाए। ताकि वे दूसरी जगह नौकरी तलाश सकें। साथ ही अध्यापकों को भी निर्देश दिया है कि वे सेमेस्टर के बीच में कॉलेज छोड़कर न जाएं। कॉलेजों को कहा है कि बीच में दूसरे कॉलेज से आने अध्यापक को न तैनात करें।
समय से वेतन न दिया तो होगी कार्रवाई:
एकेटीयू ने कहा है कि कई कॉलेज अध्यापकों को समय से वेतन भी नहीं देते हैं। अध्यापकों को नियमित रूप से वेतन दिया जाए। शिकायत मिलने पर कॉलेजों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
इनसेट :
मॉडल पेपर से छात्र कर सकेंगे परीक्षा की तैयारी :
इस बार सेमेस्टर परीक्षाओं से पहले एकेटीयू के छात्र मॉडल पेपर से तैयारी कर सकेंगे। यूपीटीयू जल्द ही मॉडल पेपर वेबसाइट पर उपलब्ध करा देगा। इस बार यूपीटीयू प्रश्न पत्र के प्रारूप में बड़ा बदलाव कर रहा है। विभिन्न विषयों के पेपर में कुल तीन तरह के प्रश्न होंगे। इन्हें हल करने के लिए निश्चित समय भी होगा।
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सत्र के बीच में किसी भी प्रोफेसर को निकालना पूरी तरह गलत है। निकालने से पहले बाकायदा नोटिस दिया जाना चाहिए।
-प्रो. विनय कुमार पाठक, कुलपति, एकेटीयू।