उद्यमी का वाहन खड़ा हो तो अवैध, ठेकेदार वसूले शुल्क तो वैध
जागरण संवाददाता, नोएडा : उद्योग सहायता समिति की बैठक में उद्यमियों ने प्राधिकरण चेयरमैन के सामने व
जागरण संवाददाता, नोएडा :
उद्योग सहायता समिति की बैठक में उद्यमियों ने प्राधिकरण चेयरमैन के सामने वाहन पार्किंग को लेकर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है, जिसमें कहा है कि यदि उद्यमी अपनी औद्योगिक इकाई के बाहर वाहन खड़ा करता है तो उस पार्किंग को अवैध माना जाता है, जबकि यदि प्राधिकरण का अधिकृत ठेकेदार वाहन खड़ा करने पर शुल्क वसूल करता है तो उसे वैध माना जाता है। ऐसे में इन नीतियों पर प्राधिकरण को पुनर्विचार करने की आवश्यता है।
सोमवार को सेक्टर-6 स्थित इंदिरा गांधी कलां केंद्र में उद्योग सहायता समिति की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता प्राधिकरण चेयरमैन रमा रमण की ओर से की गई। इस मौके पर नोएडा एंटरप्रिन्योर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विपिन मल्हन की ओर से चेयरमैन को बताया गया कि विभिन्न औद्योगिक सेक्टरों में पार्किंग ठेकेदार की ओर से उद्यमियों से पार्किंग के नाम पर जबरन पैसा वसूल किया जा रहा है। जबकि जमीन आवंटन के समय उद्यमी से 30 मीटर या 24 मीटर चौड़ी सड़क या कार्नर, ग्रीन बेल्ट के पास होने पर अतिरिक्त शुल्क लिया जाता है। अत: उद्यमियों का अनुरोध है कि इस नीति पर पुनर्विचार कर औद्यौगिक इकाइयों के आगे नि:शुल्क वाहन पार्क करने की सुविधा प्रदान की जाए।
मल्हन ने बताया कि प्राधिकरण की ओर से नोएडा में सड़कें उद्यमियों एंव निवासियों के लिए बनाई गई हैं। परंतु कुछ वर्षों से पार्किंग भू-माफियाओं की ओर से दुरुपयोग किया जा रहा है। सेक्टर-10 में बी 1-डी के आगे सड़क पर, वेव टावर व अन्य कंपनी वालों द्वारा तथा ए-6, सेक्टर-63 तथा सेक्टर-1 में रोहन मोटर्स के सामने सड़क पर ही सैकड़ों वाहन खडे़ कर दिये जाते हैं। इस कारण इन सड़कों से गुजरना अब दूभर हो गया है। इन मुद्दों पर चेयरमैन ने गंभीरता से विचार करने का उद्यमियों को आश्वासन दिया।
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डीएनडी को टोल फ्री किया जाए:
डीएनडी फ्लाई ओवर से प्रतिदिन वाहनों की भारी संख्या गुजरती है। ऐसे में टैक्स वसूलने के चक्कर में टोल प्लाजा पर वाहनों की लंबी कतारें लग जाती हैं। अत: अनुरोध है कि डीएनडी फ्लाई ओवर को टोल फ्री करा दिया जाए।
लीज रेंट की दर कम हो :
प्राधिकरण की ओर से उद्योगों से लीज रेंट 2.50 प्रतिशत की दर से लिया जा रहा है, जोकि बहुत ज्यादा है। इस समय उद्योगों की हालत बहुत दयनीय है। इसलिए लीज रेंट की दर एक प्रतिशत की जाए।
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छोटे औद्यौगिक भूखंडों की मांग :
प्राधिकरण की ओर से विगत कई वर्षों से छोटे औद्यौगिक भूखंडों की योजना नहीं निकाली गई है। इससे उद्योगों का विस्तार नहीं हो पा रहा है। वर्ष 2013 में छोटे-बड़े औद्यौगिक भूखंडों की योजना निकाली थी। उसमें छोटे औद्यौगिक भूखंडों की संख्या बहुत कम थी। अत: अनुरोध है कि छोटे औद्यौगिक भूखंडों (200 से 500 वर्ग मीटर) की योजना लाई जाए।
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आवासीय भूखंड योजना:
प्राधिकरण की ओर से वर्ष 2004 से उद्यमियों के लिए औद्यौगिक कोटे के आवासीय भूखंड योजना नहीं लाई गई है। इस कारण कई उद्यमी आरक्षित कोटे के आवासीय भूखंड लेने से वंचित रह गये हैं। इन उद्यमियों को अपना उद्यम चलाने के लिए पड़ोसी राज्यों से आना पड़ता है। इस कारण उनका धन व समय बर्बाद होता है। इसलिए औद्यौगिक कोटे के आवासीय भूखंड योजना निकाली जाए।