अपराध में बचपन
जागरण संवाददाता, नोएडा : इसे नोएडा की चकाचौंध कहें या समय से पूर्व सबकुछ पाने की ख्वाहिश। जिन हाथ
जागरण संवाददाता, नोएडा :
इसे नोएडा की चकाचौंध कहें या समय से पूर्व सबकुछ पाने की ख्वाहिश। जिन हाथों में किताबें होनी चाहिए, उन हाथों में हथियार है। ऐसा होना किसी परिवार या सिर्फ पुलिस की चिंता नहीं है बल्कि यह पूरे समाज के लिए चितिंत होने का विषय है। दरअसल, इससे समाज के भविष्य की दिशा भी तय होती है। सन 2012 में निर्भया के साथ द¨रदगी में नाबालिग की भूमिका की चर्चाओं के बाद जघन्य अपराध में शामिल किशोरों को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के लाभ से वंचित कर दिया गया है। इससे 16 वर्ष से ज्यादा उम्र के नाबालिगों को बड़े अपराध में सजा मिलने का रास्ता साफ हो गया है लेकिन समाज की दशा और दिशा के बिगड़ने का डर अब भी बरकरार है। नोएडा में पिछले साल 34 नाबालिग अपराधी पकड़े गए। जिसमें लूट और दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध भी हैं।
अब तक यह थी व्यवस्था
मौजूदा कानून में 18 वर्ष तक का नाबालिग कितने भी गंभीर अपराध में क्यों न आरोपी हो उस पर सामान्य अदालत में मुकदमा नहीं चल सकता था। न ही उसे जेल भेजा जाता था। उसका मुकदमा जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में ही चलता था और उसे अधिकतम तीन वर्ष तक की सजा दी जा सकती थी। उसे सुधार गृहों में रखा जाता था।
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वर्ष 2014 में विभिन्न अपराधों में पकड़े गए नाबालिग -
अपराध- गिरफ्तारी
हत्या का प्रयास-4
दुष्कर्म व अन्य- 3
लूटपाट- 14
चोरी - 6
मारपीट-7
किसको कितनी शिक्षा
अनपढ़-4
प्राइमरी-7
10 वी तक- 18
10 वीं से ज्यादा- 5
पारिवारिक पृष्ठभूमि
माता-पिता के साथ रहने वाले - 31
बेघर- 3
नाबालिगों को सजा मिलने का प्रावधान हो गया है। यह पीड़ितों के हिसाब से तो ठीक है लेकिन समाज की भी चिंता होनी चाहिए। शिक्षा की व्यवस्था ऐसी हो कि नाबालिग अपराध के रास्ते पर ही न जाए। विकास के जरिए भी ऐसा किया जा सकता है। रोजगार के साधन होंगे तो अपराध की राह पर जाने का सवाल ही नहीं पैदा होगा।
- मास्टर छोटे लाल, समाजशास्त्री
'नाबालिगों का अपराध की राह पर जाना बेहद चिंता का विषय है। अब 16 वर्ष तक बड़े अपराध पर सख्त सजा हो सकती है। इससे नाबालिगों के अपराध की राह पर जाने में रोक लगने की संभावना है।
- दिनेश यादव, एसपी सिटी