लघु उद्योगों का सिमट रहा बोरिया बिस्तर
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : ग्रेटर नोएडा में नई औद्योगिक इकाई न लगने से लघु व मझोले उद्योगों का
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : ग्रेटर नोएडा में नई औद्योगिक इकाई न लगने से लघु व मझोले उद्योगों का बोरिया बिस्तर सिमट रहा है। औद्योगिक क्षेत्र व्यवसायिक गतिविधियों का केंद्र बनता जा रहा है। औद्योगिक क्षेत्र साइट चार में करीब पचास फीसद क्षेत्र व्यवसायिक में तब्दील हो गया है।
ग्रेटर नोएडा में शुरुआती दौर में बड़ी औद्योगिक इकाई स्थापित होने से लघु व मझोले उद्योगों को भी फलने फूलने का पर्याप्त अवसर मिला। यूपीएसआइडीसी साइट चार में भी लघु व मझोले उद्योग स्थापित हुए। लेकिन बड़े उद्योगों में ठहराव आने से लघु व मझोले उद्योग सिमटने लगे हैं। उत्पाद की मांग न होने से उद्योगों के लिए यहां टिकना मुश्किल हो गया है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अन्य शहरों में स्थापित हो रहे बड़े उद्योगों का भी फायदा ग्रेटर नोएडा के लघु उद्योगों को नहीं मिल पा रहा है। बिजली जैसी मूलभूत समस्या से जूझ रहे उद्यमी प्रवेश कर आदि की विसंगति के चलते अपने उत्पाद को दूसरे राज्यों में नहीं बेच पा रहे हैं। इससे लघु व मझोले उद्योगों ने ग्रेटर नोएडा से अपना बोरिया बिस्तर समेटना शुरू कर दिया है। हालात यह है कि साइट चार औद्योगिक क्षेत्र से करीब पचास फीसद उद्योगों बंद हो चुके हैं। उनकी जगह व्यवसायिक गतिविधियां ने ले ली है। शोरूम से लेकर फर्नीचर, वाहन वर्कशाप व कार्यालय की गतिविधियां संचालित हो रही है। उद्यमी इसके लिए सरकारी नीतियों को दोषी ठहरा रहे हैं।
ग्रेटर नोएडा में उद्योग बंद होने की वजह गलत सरकारी नीतियां है। कर की विसंगति व सुविधाएं न मिलने से उद्योग प्रभावित है। बड़ी उत्पादन इकाईयां स्थापित न होने से लघु व मझोले उद्योगों के लिए संकट खड़ा हो गया है। आईटी को बढ़ावा देने से व्यवसायिक गतिविधियों के अवसर बढ़े हैं।
एडी पांडे, डीविजनल चेयरमैन आइआइए