नोएडा में तैयार उत्पाद को दिल्ली में बेचने का संकट
जागरण संवाददाता, नोएडा: उद्यमियों के सामने नोएडा में तैयार उत्पाद को दिल्ली में बेचने का संकट खड़ा
जागरण संवाददाता, नोएडा:
उद्यमियों के सामने नोएडा में तैयार उत्पाद को दिल्ली में बेचने का संकट खड़ा हो गया है। यह संकट प्रदेश सरकार के उस एक फीसदी प्रवेश शुल्क ने खड़ा कर दिया है। जिसके तहत कच्चा मॉल दिल्ली से नोएडा में उत्पाद तैयार करने के लिए मंगवाया जा रहा है। इससे नोएडा में दिल्ली की अपेक्षा महंगा उत्पाद तैयार हो रहा है। जो दिल्ली में तैयार होने वाले उत्पाद से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहा है।
इस समस्या से निपटने के लिए कई बार उद्यमियों की ओर से नोएडा एंटरप्रिन्योरशिप एसोसिएशन की ओर से प्रदेश सरकार को पत्र भी लिखा गया, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। अब हालात यहां तक पहुंच गये हैं कि नोएडा में चलने वाली स्टील-प्रिंटिंग यूनिट बंदी की कगार पर पहुंच गई है। दिल्ली में उत्पाद पर टैक्स 12.5 फीसद है। जबकि यहां पर प्रत्येक तैयार उत्पाद पर 14 फीसद टैक्स तो प्रदेश सरकार की ओर से निर्धारित किया गया है। जो दिल्ली में ही प्रतिस्पर्धा के लिए सबसे बड़ा बाधक है। उस पर प्रवेश शुल्क इस अंतर को कम करने की बजाय बढ़ा रहा है।
बार्डर पर लगी यूनिटों ने काम छीना:
दिल्ली से सटे कोंडली, खोड़ा में अवैध रूप से प्रिंटिंग यूनिट को लगाया गया है। जिससे नोएडा में आने वाला काम अब यहां से कराया जा रहा है। नोएडा से चंद कदम की दूरी पर नोएडा की अपेक्षा सस्ती दरों पर काम हो रहा है। ऐसे में लोगों ने नोएडा की यूनिटों की जगह अन्य जगह की यूनिटों पर काम देना शुरू कर दिया है। इससे नोएडा के उद्यमी यूनिटों को लगाने के बाद अब खाली बैठे हैं।
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हजारों कर्मचारियों के रोजी-रोटी पर संकट खड़ा:
इन यूनिटों में हजारों की संख्या में लोग काम कर रहे हैं, लेकिन काम नहीं आने से उद्यमियों के पास इनके वेतन को लेकर भी अब संकट खड़ा हो रहा है। ऐसे में दूर दराज के क्षेत्रों से जो लोग यहां पर आकर इन यूनिटों में काम कर रहे थे। उनके सामने भी अपनी रोजी रोटी को बचाने का संकट खड़ा हो गया है।
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यूनिटों की स्थिति :
यूनिट संख्या
प्रिंटिंग 100 लगभग
स्टील 1000 लगभग
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प्रदेश सरकार को कई बार इस मामले पर लिखित रूप से अवगत कराया जा चुका है। सरकार की ओर से भी आश्वासन पर आश्वासन दिया जा रहा है, लेकिन राहत अभी कोसो दूर दिखाई दे रही है। ऐसे में यह यूनिट अब बर्बादी की कगार पर खड़ी है।
विपिन मल्हन, अध्यक्ष, एनईए।