Move to Jagran APP

नैतिक आचरण को वैदिक संस्कृति जरूरी : गुरुदत्त

पुरकाजी (मुजफ्फरनगर) : आर्य समाज कम्हेड़ा में राष्ट्रीय शांति, सदभावना, एकता और कल्याण हेत

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Aug 2017 02:42 AM (IST)Updated: Fri, 18 Aug 2017 02:42 AM (IST)
नैतिक आचरण को वैदिक संस्कृति जरूरी : गुरुदत्त

पुरकाजी (मुजफ्फरनगर) : आर्य समाज कम्हेड़ा में राष्ट्रीय शांति, सदभावना, एकता और कल्याण हेतु आयोजित देवयज्ञ में आहुतियां अर्पित की गई। इस दौरान आचार्य गुरुदत्त आर्य ने कहा कि वैदिक संस्कृति मानवीय मूल्यों और नैतिक आचरण को प्रेरित करती है।

loksabha election banner

कम्हेड़ा तुगलकपुर गांव में आयोजित देव यज्ञ में आचार्य गुरुदत्त आर्य ने कहा कि यज्ञ सबसे श्रेष्ठ कर्म हैं। वायु, जल, पृथ्वी, आकाश की शुद्धि और पवित्रता के लिए यज्ञ आवश्यक है। गाय घृत , गूगल, केसर, चंदन, गिलोय, जायफल आदि प्राकृतिक पदार्थो की सामग्री से यज्ञ करें। घर में विषैले कीटाणु नष्ट हो जाएंगे। स्वाइन फ्लू जैसे बीमारी से रक्षा संभव है। यज्ञ निरोगी, दीर्घायु व स्वस्थ जीवन में उपयोगी है। श्रीराम व योगीराज श्रीकृष्ण प्रतिदिन यज्ञ किया करते थे। उन्होंने कहा कि यज्ञकर्म से स्वार्थ की भावना समाप्त होती है। परिवार में संस्कार, सुशिक्षा, वेदानुकूल आचरण मिलता है। स्वामी आदित्यानंद ने कहा कि माता-पिता संस्कारवान बनेंगे तभी संतान भी गुणवान होगी। स्वामी सत्यवेश ने कहा कि जीवन में सुख, शांति और कल्याण के लिए वैदिक संस्कृति अपनाएं। समारोह में आर्य समाज की अमूल्य सेवाओं के लिए स्वामी आदित्यानंद का आचार्य गुरुदत्त आर्य ने अभिनंदन किया। भजनोपदेशक पंडित ब्रजपाल आर्य, राजेंद्र आर्य, जय प्रकाश शर्मा, तेजपाल ¨सह, हरवीर ¨सह आर्य, सोमपाल ¨सह आर्य व राजपाल ¨सह आर्य ने विचार रखे। संचालन महक ¨सह आर्य ने किया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.