डग्गामार वाहनों के हवाले जिगर के टुकड़े
मुजफ्फरनगर : एटा में स्कूली बस व ट्रक की भिड़ंत में 13 छात्रों की मौत के बाद परिवहन विभाग की कुंभकर्ण
मुजफ्फरनगर : एटा में स्कूली बस व ट्रक की भिड़ंत में 13 छात्रों की मौत के बाद परिवहन विभाग की कुंभकर्णी नींद खुली है। परिवहन विभाग ने चे¨कग अभियान चलाकर चार स्कूली वाहन सीज किए और सात वाहनों का चालान किया। चे¨कग में खुलासा हुआ कि जिले के अधिकतर स्कूलों के बच्चों को डग्गामार वाहन ढो रहे हैं। अभिभावकों ने अपने जिगर के टुकड़ों की जान को खुद ही डग्गामार वाहनों के हवाले कर रखा है। स्कूल संचालकों का डग्गामार वाहनों से कोई लेना-देना नहीं है।
एआरटीओ कार्यालय में जिले में संचालित स्कूलों के करीब 250 वाहनों का ही पंजीकरण है, जबकि सड़कों पर इससे कई गुना सरपट दौड़ रहे हैं। डग्गामार वाहनों को चला रहे चालकों के पास न तो कॉमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस है और न वाहनों का स्कूलों से कोई अनुबंध। वाहन स्वामी सीधे अभिभावकों से मासिक किराया लेते हैं। जिले के चंद स्कूलों में ही परिवहन मानकों के मुताबिक वाहन हैं। ई-रिक्शा से भी स्कूल के बच्चों को ढोया जा रहा है।
एटा में हुई स्कूली बस व ट्रक की भिड़ंत में 13 बच्चों की मौत होने के बाद परिवहन विभाग की आंखें खुली हैं। परिवहन विभाग ने डग्गामार चार मारुति कार व एक टाटा मैजिक को सीज कर दिया। वहीं छात्रों को ले जा रहे सात वाहन चालकों के चालान किए गए। पीटीओ सुधीर कुमार ने बताया कि चे¨कग अभियान जारी रहेगा। इसके अलावा स्कूलों में जाकर वाहनों की फिटनेस जांची जाएगी।
ये हैं स्कूल वाहन के मानक
- पीटीओ के मुताबिक स्कूल के वाहन में सीटों के मुकाबले डेढ़ गुना ही बच्चे बैठाए जा सकते हैं। 50 सीट के वाहन में 75 बच्चे बैठ सकते हैं।
- चालक को पांच साल का कॉमर्शियल वाहन चलाने का अनुभव होना चाहिए। चालक के पास ड्राइविंग लाइसेंस कॉमर्शियल ही होना चाहिए।
- स्कूली बस में दो दरवाजे होने चाहिए। खिड़कियों में ग्रिल होनी चाहिए।
- परिचालक व एक शिक्षक स्कूल के बच्चों को उतारने व चढ़ाने के लिए होना चाहिए।
- परिवहन विभाग में स्कूली वाहन का पंजीकरण होना चाहिए। वाहन का फिटनेस हर साल होना चाहिए।