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'दंगल' की कहानी दोहरा रहे सूरजवीर

भूपेंद्र शर्मा, मुजफ्फरनगर : बालीवुड फिल्म 'दंगल' की कहानी में पहलवान महावीर फोगाट अपनी बेटी गीता और

By Edited By: Published: Fri, 20 Jan 2017 11:22 AM (IST)Updated: Fri, 20 Jan 2017 11:22 AM (IST)
'दंगल' की कहानी दोहरा रहे सूरजवीर
'दंगल' की कहानी दोहरा रहे सूरजवीर

भूपेंद्र शर्मा, मुजफ्फरनगर : बालीवुड फिल्म 'दंगल' की कहानी में पहलवान महावीर फोगाट अपनी बेटी गीता और बबीता को परिजनों व ग्रामीणों के विरोध के बावजूद अखाड़े में उतारते हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स में गीता गोल्ड जीतकर देश का मान बढ़ाती हैं और पिता का सिर गर्व से ऊंचा करती हैं। कमोवेश यही कहानी जिले के पुरबालियान गांव के पहलवान सूरजवीर दोहरा रहे हैं। परिजनों ने बेटी को कुश्ती सिखाने का विरोध किया तो गांव से पलायन कर गए और नया ठिकाना बनाया शाहदरा में। यहां उन्होंने बेटी दिव्या को कुश्ती के दांव-पेच सिखाए। बेटी ने पिता का मान रखा और सब-जूनियर एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में गोल्ड हासिल कर देश व पिता का सिर फº से ऊंचा करके विरोधियों की दकियानूसी सोच को भी चारों खाने 'चित' कर दिया।

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हरियाणा में ही जवां हुआ ख्वाब

जिले के पुरबालियान गांव निवासी पहलवान सूरजवीर पुत्र राजेंद्र ¨सह करीब 20 साल पहले गांव-गांव होने वाले दंगलों में भाग लेते रहे। आर्थिक तंगी के चलते उन्हें कुश्ती को अलविदा करना पड़ा। इसके बाद पहलवानों के लंगोट बनाकर बेचने लगे। विवाह हुआ और तीन बच्चे हुए। बड़ा बेटा देव सेन, बेटी दिव्या सेन व दीपक सेन की पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए उन्होंने दिल्ली व हरियाणा में लंगोट बेचने का धंधा किया। वह बताते हैं कि वर्ष 2010 में हरियाणा के रोहतक व झज्जर आदि स्थानों पर जाना हुआ तो वहां लड़कियों को कुश्ती लड़ते देखा।

अखाड़ों में लड़कों को चटाई धूल

गांव लौटकर बड़े बेटे देव तथा 12 वर्षीय बेटी दिव्या सेन को गांव के अखाड़े में कुश्ती के दांव-पेच सिखाने शुरू कर दिए। पिता व अन्य परिजनों ने बेटी को कुश्ती सिखाने का विरोध किया। इससे नाराज होकर सूरजवीर ने गांव से पलायन कर दिया और दिल्ली के शाहदरा में परिवार समेत रहना शुरू कर दिया। सूरजवीर ने शाहदरा के गोकलपुर स्थित राजकुमार गोस्वामी के अखाड़े में बेटी दिव्या सेन को कुश्ती के दांव-पेच सिखाने शुरू कर दिए। बेटी ने आसपास होने वाले दंगलों में पुरुष पहलवानों को पटखनी देनी शुरू कर दी।

ऐसे मिली कामयाबी

वर्ष 2011 में दिव्या ने हरियाणा के जींद के नरवाना गांव में हुई नेशनल स्कूल कुश्ती प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता। इसके बाद मुड़कर नहीं देखा। दिल्ली में आयोजित राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में दिव्या सेन ने 18 गोल्ड जीते। इसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित कुश्ती प्रतियोगिताओं में सब-जूनियर व जूनियर वर्ग में नौ स्वर्ण, दो रजत व दो कांस्य पदक जीते। वर्ष 2013 में एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में सब जूनियर वर्ग में रजत पदक तथा वर्ष 2015 में आयोजित एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में सब जूनियर वर्ग में स्वर्ण तथा जूनियर वर्ग में रजत पदक जीता। सूरजवीर बताते हैं कि फिलहाल दिव्या सेन 67 किग्रा भारवर्ग में दिल्ली के शक्ति नगर स्थित प्रेमनाथ अखाड़े में कोच विक्रम कुमार के निर्देशन में तैयारी कर रही हैं। उनका सपना दिव्या सेन का ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड जीतना है। उन्हें यकीन है कि बेटी उनके सपने को सच जरूर करेगी।


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