तालाबों के संरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश बेमानी
जानसठ : जल संरक्षण को लेकर प्रशासन पूरी तरह उदासीन है। प्रशासन की उदासीनता का लाभ उठाकर क्षेत्र के अ
जानसठ : जल संरक्षण को लेकर प्रशासन पूरी तरह उदासीन है। प्रशासन की उदासीनता का लाभ उठाकर क्षेत्र के अधिकतर तालाबों की भूमि पर लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है। जानकारी होने के बाद भी स्थानीय प्रशासन कोई पहल नहीं कर रहा है।
प्राचीनकाल से ही जल संरक्षण के लिए गांवों में तालाबों का निर्माण कराया जाता है। जल संरक्षण के अलावा ग्रामीणों को तालाबों से और भी कई लाभ होते हैं। दूसरी ओर, तालाब शासन के लिए राजस्व अर्जित करने का साधन भी है। तालाबों को मछली पालन के लिए पट्टे पर देकर शासन को लाखों रुपये का राजस्व प्राप्त होता है। प्रशासन की अनदेखी के चलते अधिकत तालाबों की भूमि पर अवैध कब्जा करके अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट व सरकार तालाबों के संरक्षण को लेकर चाहे जितने गंभीर हों, लेकिन प्रशासन इस मुद्दे को लेकर पूरी तरह उदासीन है। प्रशासन की उदासीनता के चलते अधिकतर तालाबों की भूमि पर लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है। नगर हो या गांवों के तालाब, हर जगह एक जैसी स्थिति नजर आती है। कुछ तालाबों की भूमि पर तो लोगों ने कब्जा करके मकान तक बना रखे हैं। हालांकि शासन तालाबों से अवैध कब्जा हटाने के लिए अभियान चलाता है। इसके तहत प्रशासन कुछ तालाबों से अवैध कब्जे हटवाने की कवायद भी करता है, लेकिन अभियान समाप्त होते ही पुरानी स्थिति बन जाती है। कस्बे में ही कई तालाब ऐसे हैं जिनका अस्तित्व समाप्त हो गया है और वहां मकान बन गए हैं। जानसठ नगर पंचायत ने कूड़ा डालकर तालाबों के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है।
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प्रशासन समय-समय पर अभियान चलाकर तालाबों से अवैध कब्जे हटवाता है। चुनाव समाप्त होने के बाद अभियान चलाकर तालाबों से अवैध कब्जे हटवाकर कब्जाधारकों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
मनोज कुमार, तहसीलदार जानसठ