छिनी मंडप की रौनक, तने तंबू
प्रदीप उलधन, जानसठ : नोटबंदी ने शादी-ब्याह की चकाचौंध को भी छीन लिया। मंडप मालिकों को तो इस बार करार
प्रदीप उलधन, जानसठ : नोटबंदी ने शादी-ब्याह की चकाचौंध को भी छीन लिया। मंडप मालिकों को तो इस बार करारा झटका लगा है। धन के अभाव में मंडप में शादी करने की हसरत रखने वाले या तो गली-मोहल्ले में टेंट लगाकर रस्म पूरी कर रहे हैं या ऐसी जगह तलाशते हैं, जहां रुपए न खर्च करने पड़ें। मंडप संचालक फिलहाल अपने कारोबार को लगभग ठप मान रहे हैं।
आम तौर पर टेंट वाले, मंडप संचालक और हलवाई आदि गंगा स्नान के बाद शुरू होने वाले शादी के सीजन का विशेष रूप से इंतजार करते हैं। दरअसल, कई माह के बाद शुरू होने वाले शादी के इस सीजन में उन्हें अच्छी खासी कमाई होती है। मगर, इस बार देवउठान से पूर्व ही प्रधानमंत्री ने पांच सौ व एक हजार रुपये के नोटबंदी की घोषणा की तो मंडप संचालक को भी दूसरे कारोबारियों की तरह करारा झटका लगा है।
शादियों का सीजन शुरू होते ही मीरापुर व जानसठ में अब तक करीब दर्जनभर शादियां हो चुकी हैं। बरात की चढ़त भी हुई और दुल्हनें सजकर पिया के साथ रुखसत भी हुईं, लेकिन मीरापुर के चार और जानसठ के दो विवाह मंडपों की ओर किसी ने देखना गवारा नहीं समझा।
रोजगार हो गया ठप
जानसठ के सिमरन हाउस के संचालक राजीव कुमार खन्ना ने बताया कि नोटबंदी से पूर्व ही दो शादियों की पेशगी आई हुई थी, लेकिन जैसे ही नोटबंदी की सूचना मिली तो लोगों ने आर्थिक तंगी का वास्ता देकर मंडप में शादी करने से इन्कार कर दिया।
शहनाई मंडप के प्रबंधक रामस्वरूप ने बताया कि नोटबंदी के कारण ज्यादातर लोग मंडप के बजाय घर या किसी ऐसे स्थान पर शादी समारोह को तवज्जो दे रहे हैं, जहां पैसे खर्च न हों।
मीरापुर के भव्य पैलेस व विनायक उत्सव के प्रबंधक अंकुर कांबोज का कहना है कि पहली बार ऐसा हुआ है कि 25 नवंबर को शादी का सीजन होने के बाद भी मंडप वीरान पड़े रहे। कई बु¨कग आई भी थीं, लेकिन वो लोग पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट दे रहे थे, जिन्हें लेने से हमने मना कर दिया।