अपने खून से दूसरों की ¨जदगी सींच रही है रमनबाला
मुजफ्फरनगर : महिला सशक्तिकरण के नाम पर रमनबाला अग्रवाल एक ऐसी शख्सियत हैं जो अपने खून से दूसरों की ¨
मुजफ्फरनगर : महिला सशक्तिकरण के नाम पर रमनबाला अग्रवाल एक ऐसी शख्सियत हैं जो अपने खून से दूसरों की ¨जदगी सींच रही हैं। जिले में सर्वाधिक 51 यूनिट रक्तदान अब तक कर चुकी हैं। राज्य रक्त संचरण परिषद उत्तर प्रदेश ने भी रमनबाला को इस प्रयास पर सम्मानित किया है। समाजसेवा के कार्यो में भी वह बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं। जरूरतमंदों को दान व खून देने में वह हर समय तैयार रहती हैं।
रमनबाला अग्रवाल को छात्र जीवन से ही रक्तदान करने का शौक है। इसके बाद उनकी शादी जाने माने उद्यमी एवं समाजसेवी सुनील अग्रवाल से हो गयी। पति के साथ समाजसेवा के कार्यो में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने लगीं। रोटरी क्लब मिड टाउन व भारत विकास परिषद मेन समेत की संस्थाओं से परिवार जुड़ गया। इन संस्थाओं के माध्यम से वह एक साल में कम से कम दो बार रक्तदान करती हैं। अब तक वह 51 बार रक्तदान कर चुकी हैं। 14 जून 16 को उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी मुजफ्फरनगर एवं राज्य रक्त संचरण परिषद उत्तर प्रदेश की ओर से सीएमओ ने श्रीमती रमनबाला को जिले में सर्वाधिक 51 यूनिट ब्लड डोनेट करने के खिताब से नवाजा था। रमनबाला कहती हैं कि जब वह स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रमों में जाती थीं तो कहा जाता था कि रक्तदान महादान है। एक यूनिट ब्लड से चार लोगों की ¨जदगी को बचाया जा सकता है। इसी भावना से उन्होंने गरीब, असहाय लोगों की ¨जदगियों को बचाने की ठान ली। कोई जरूरतमंद उनके ब्लड की बात करता है तो वह या तो खुद ब्लड डोनेट करती हैं या फिर उसे जिला अस्पताल से दिलाती हैं। जरूरतमंद की ¨जदगी बचाने का उनका प्रयास करती हैं। बड़ी बेटी जो मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं, मां से प्रेरित होकर उसने भी इसी साल जनवरी व जुलाई में ब्लड डोनेट किया है। पिछले कई सालों ने ब्लड डोनेट कर रही हैं। समाजसेवा के कार्यो में वह भी पीछे नहीं हैं। कई संस्थाओं के माध्यम से रमनबाला 25-30 बच्चों की फीस स्वयं वहन कर रही हैं। पति से अलग भी वह दो गरीब बच्चों की स्कूल की फीस देती हैं। रमनबाला ने मरने के बाद नेत्रदान करने की घोषणा भी की है। सास कमलेश अग्रवाल व ससुर कश्मीरी लाल अग्रवाल के देहदान की घोषणा से प्रेरित होकर अब रमनबाला ने भी देह देहदान की घोषणा की हैं।