प्रभु स्मरण से मिलता है अलौलिक सुख: प्राची
खतौली : कथा व्यास प्राची देवी ने कहा कि प्रभु भक्ति में रत होकर जिसने अपने जीवन के अंधकार को दूर कर
खतौली : कथा व्यास प्राची देवी ने कहा कि प्रभु भक्ति में रत होकर जिसने अपने जीवन के अंधकार को दूर कर लिया, उसका जीवन सुखमय हो जाता है। उस पर प्रभु की अटूट कृपा बनी रहती है। प्रभु के स्मरण से अलौलिक सुख मिलता है।
जानसठ रोड स्थित श्री कुंदकुंद जैन कॉलेज के क्रीड़ा स्थल पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन शुक्रवार को प्राची देवी ने कहा भरत ने राजपुत्र होते हुए भी राजपाट का त्याग किया और जंगल जाकर भागवत आराधना में लीन हो गए। महाभारत के भरत हों, चाहे रामचरित मानस या श्रीमद्भागवत के भरत, तीनों ने अपने जीवन में भक्ति सूत्र को अपनाया। महापुरुषों ने जनमानस को ये संदेश दिया कि संसार के जितने भी सुख हैं, वे अल्पकालिक हैं। क्षणिक सुख से कुछ समय के खुशी व सुख का अहसास कर सकता है, लेकिन स्थायी सुख केवल प्रभु के स्मरण से प्राप्त होता है। उसका सुख का अनुभव केवल प्रभु कि भक्ति करने वाली ही कर सकता है। भागवान के नाम के आगे संसार के सभी सुख तुच्छ हो जाते हैं।
तीसरे दिन की श्रीमद्भागवत कथा के मुख्य यजमान कमल गर्ग, महीपाल वालिया, अंकित तायल रहे। कथा के आयोजन में दीपक बंसल, ज्योति मोहन गोयल, मदन छाबड़ा, पवन अग्रवाल, नरेश नागपाल, संजीव शर्मा, प्रशांत अग्रवाल, मोहन लाल गोयल, राजकुमार ग्रोवर, केके गोयल, राजाराम गुप्ता आदि का सहयोग रहा।