किसानों को खूब याद आते हैं चौधरी चरण ¨सह
मुजफ्फरनगर: किसानों के मसीहा रहे पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण ¨सह के आदर्श आज भी अनुकरणीय हैं। गांव,
मुजफ्फरनगर: किसानों के मसीहा रहे पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण ¨सह के आदर्श आज भी अनुकरणीय हैं। गांव, गरीब, शोषित और वंचितों के लिए पूरा जीवन जोत देने वाले चरण सिंह के पदचिह्नों पर चलकर आज भी किसानों का उद्धार हो सकता है। सामाजिक न्याय के पैरोकार चौधरी साहब की रविवार को पुण्य तिथि है। उनके संघर्ष के साथी आज उन्हें बड़े आदर से याद करते हैं।
किसानों और मजदूरों के हक के लिए संघर्ष करने से चौधरी चरण ¨सह को कोई डिगा नहीं पाया। सादगी, विनम्रता और ईमानदारी के प्रतीक चौधरी साहब ने उसूलों से कभी कोई समझौता नहीं किया। आजादी के 69 साल बाद किसान अपनी फसलों के भुगतान के लिए संघर्षरत हैं। छोटी जोत का किसान खुदकुशी कर रहा है। 70 के दशक में युवा लोकदल के जिलाध्यक्ष रह चुके श्रीराम तोमर किसान मसीहा से जुड़ी बातों को आज भी याद करते हैं। बकौल तोमर, इमरजेंसी के वक्त चौधरी चरण ¨सह के आह्वान पर उन्होंने 27 जून 1975 को जिले में पहली गिरफ्तारी दी थी। उस दौरान हजारों कार्यकर्ताओं ने उत्पीड़न सहा था। तिहाड़ जेल से रिहा होने के बाद चौधरी साहब ने लखनऊ में प्रदेश भर के सभी कार्यकर्ताओं को बुलाया था। उस समय बड़े चौधरी का गले लगाना और भावुक होना नहीं भूलता। उस दौरान विधानसभा में चौधरी साहब इमरजेंसी के खिलाफ खूब बोले थे। वर्ष 1969 में जानसठ से बीकेडी के विधायक रहे मनफूल ¨सह बताते हैं कि चौधरी साहब का जीवन बेमिसाल रहा है। उन्होंने वंचित समाज को भी राजनीति में मुकाम दिया। आर्य समाज के भजन गायक नंदराम और परचून दुकानदार कबूल ¨सह को एमएलए बना दिया था। प्रदेश का मुख्यमंत्री रहते हुए वर्ष 1969 में शिक्षा ऋषि स्वामी कल्याणदेव के आग्रह पर चौधरी चरण ¨सह ने शहर में दलित छात्रावास का निर्माण कराया था। उनके आदर्श अनुकरणीय हैं।