गुरु की पूजा ही ईश्वर पूजा के समान : शास्त्री
मुजफ्फरनगर : श्री सनातन धर्म सभा भवन में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में कथाव्यास हिमेश शास्त्री के छात
मुजफ्फरनगर : श्री सनातन धर्म सभा भवन में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में कथाव्यास हिमेश शास्त्री के छात्र-छात्राओं को अध्यात्म का पाठ पढ़ाते हुए गुरु की पूजा को ईश्वर की पूजा के समान बताया।
सोमवार को कथा में छात्र-छात्राओं ने नैतिक मूल्यों, उद्देश्य प्राप्ति को अमृत वचन सुन मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होंने कहा कि अपने लक्ष्य को निर्धारित कर पूरी शक्ति लगा दी जाए तो सफलता अवश्य मिलेगी। हमारा हाथ ही भगवान है जिससे सद्कर्म करने की प्रेरणा मिलती है। विद्यार्थी उत्साह पूर्वक कार्य करें। बुरी आदतों से दूर रहें। अपने गुरुजनों के प्रति आदर व कृतज्ञता का भाव रखें। सबसे प्रेम करें। जीवन में अभिमान को न आने दें। अपने कार्य को तुरन्त निष्ठा के साथ करें। बच्चों ने महाराज श्री का स्वागत किया। उन्होंने महाराज श्री के बताए वचनों को जीवन में अपनाने और उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
श्रीमद कथा को आगे बढ़ाते हुए महाराजश्री ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा मोक्षदायिनी है। इसका श्रवण करने से मानव को प्रभु चरणों एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। कथा में महाराज श्री ने सुंदर भजन प्रस्तुत किए। ईश कौशल, अश्वनी रहेजा, पंकज बंसल, नंदकिशोर नंदू, कुलदीप, बाबूराम कौशल, विनय बेदी, विजय पांडेय का सहयोग रहा।
धर्म की रक्षा को परमात्मा लेते हैं अवतार
मुजफ्फरनगर : फ्रेंड्स कालोनी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में कथाव्यास पं. सीताराम त्रिपाठी ने बताया कि धर्म की रक्षा करने के लिए परमात्मा अवतार ग्रहण करते हैं। परमात्मा को किसी प्रकार याद करो, काम से करो, भय से करो, प्रीत से, संबंध से करो। भगवान का ¨चतन बना रहेगा तो आपका कल्याण हो जाएगा। अगर आपने तन मन धन सब कुछ परमात्मा को अर्पण कर दिया तो परमात्मा आपकी सेवा में अर्हिनिस तत्पर रहेंगे। उन्होंने कहा कि भक्ति के ऊपर कोई अत्याचार करता है तो परमात्मा स्वयं अवतरित होकर उनका उद्धार करते हैं। जब पृथ्वी पाप से पीड़ित होती है तो भगवान का अवतार होता है। कथा में प्रहलाद चरित्र, गजेन्द्र मोक्ष, समुद्र मंथन, वामन मत्स्य अवतार की कच्छप मोहिनी, परशुराम, श्रीराम व भगवान कृष्ण अवतार, के प्रसंग सुना भक्तों को भाव विभोर कर दिया। अभिषेक गर्ग, शिवम, हर्षित, उज्ज्वल, दुष्यंत त्यागी, प्रवेश त्यागी, कन्हैया आदि का सहयोग रहा।