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पानी की बर्बादी पर लगा दी वैज्ञानिक गमलों की डाट

मुजफ्फरनगर : लापरवाही के पाइप से जाने अनजाने की जा रही पानी की बर्बादी पर एक शिक्षक ने अपने शोध और प

By Edited By: Published: Fri, 30 Jan 2015 12:28 AM (IST)Updated: Fri, 30 Jan 2015 12:28 AM (IST)

मुजफ्फरनगर : लापरवाही के पाइप से जाने अनजाने की जा रही पानी की बर्बादी पर एक शिक्षक ने अपने शोध और परिश्रम से वैज्ञानिक गमलों की डाट लगा दी। यह शोध इतना सफल रहा कि आज गांव और शहर में रखे बड़े-बड़े गमलों के स्थान पर विज्ञान आधारित गमलों की सहायता से घरेलू पौधों की सिंचाई में व्यर्थ होने वाले अरबों लीटर पानी की बचत करना संभव हो रहा है।

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क्या है विज्ञान आधारित गमला

जैन इंटर कालेज के विज्ञान के प्रवक्ता डा. वशिष्ठ भारद्वाज ने विज्ञान के केशनली सिद्धांत का लाभ पानी की बर्बादी रोकने में उठाया। उन्होंने एक प्लास्टिक कंटेनर को दो भागों में विभाजित कर नीचे वाले भाग में जल भरा तथा ऊपर के भाग में पौधे को मिट्टी में खाद के साथ रोपित किया। जूट के टुकड़ों की सहायता से पौधे की जड़ों का संबंध गमले के नीचे भाग में भरे हुए जल से कर दिया। इससे केश नली सिद्धांत पर जड़ों तक जूट उतना ही जल पौधे तक पहुंचाता है जितना आवश्यक है।

नवप्रयोग का व्यावहारिक लाभ

डा. वशिष्ठ भारद्वाज अपने नवप्रयोग से गांव देहात सहित शहरों में रहने वाले लोगों को अवगत करा रहे हैं। गमलों का प्रायोगिक प्रदर्शन करते हुए उन्होंने बताया कि एक अनुमान के अनुसार नगर क्षेत्र के करीब 1.30 लाख मकानों में से 10 हजार मकानों में लगभग 100-100 गमले रखे हैं। प्रत्येक घर में प्रतिदिन पांच से आठ हजार लीटर जल व्यर्थ चला जाता है। जबकि गमलों में पौधों को केवल उतना ही जल प्राप्त होता है, जितना उन्हें अपने विकास के लिए आवश्यक है। इस तरह जल के अत्यधिक दोहन से भूगर्भ जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है।

ये पेश किया पानी की बचत का गणित

गणना कर देखें तो नगर में वैज्ञानिक गमलों से प्रतिवर्ष 36 अरब लीटर से अधिक भूगर्भ जल की बचत हो रही है। नगर में इस समय 1.30 लाख से अधिक मकान हैं। गमलेयुक्त घरों की अनुमानित संख्या 10 हजार है। औसतन 100 गमले प्रत्येक घर में हैं। अनुमानत: एक घंटा प्रतिदिन सबमर्सिबल पंप द्वारा एक घर में गमलों की सिंचाई में 5000 लीटर जल का दोहन होता है। 20 हजार घरों में प्रतिदिन जलदोहन की मात्रा 10 करोड़ लीटर बैठती है। यदि इसे साल के 365 दिनों से गुणा किया जाए तो यह 36 अरब 50 करोड़ लीटर बैठता है। यदि सभी पौधों को विज्ञान आधारित गमलों में रोप दिया जाए, तो उससे प्रतिवर्ष करीब 32 अरब लीटर जल की बचत होगी।

बदलवा चुके करीब 10 हजार गमले

डा. वशिष्ठ भारद्वाज अपने वैज्ञानिक शोध का प्रयोग पानी की बर्बादी रोकने पर कर रहे हैं। वशिष्ठ भारद्वाज अब तक विभिन्न लोगों से करीब 10 हजार गमले बदलवाकर उन्हें नए गमलों में तब्दील करा चुके हैं।


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