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नमक खिलाए 'सरकार' हक पाए 'सरदार'

मुजफ्फरनगर :हस्तिनापुर वन्य जीव अभ्यारण्य और ग्राम समाज की हजारों हेक्टेयर जमीन को लेखपाल-भूमाफिया ग

By Edited By: Published: Sat, 22 Nov 2014 08:16 PM (IST)Updated: Sat, 22 Nov 2014 08:16 PM (IST)
नमक खिलाए 'सरकार' हक पाए 'सरदार'

मुजफ्फरनगर :हस्तिनापुर वन्य जीव अभ्यारण्य और ग्राम समाज की हजारों हेक्टेयर जमीन को लेखपाल-भूमाफिया गठजोड़ में उन अफसरों की गर्दन फंसनी तय है जिन्होंने नमक तो सरकार का खाया और हक घोटाले के 'सरदार' का अदा दिया। बंदरबांट के सूत्राधार शिवकुमार का खौफ या तहसील अफसरों की मिलीभगत कहें कि स्थलीय निरीक्षण कर गंगा, नदी, झील समेत अन्य सरकारी जमीनों का दनादन आवंटन होता रहा। इनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुतियां भी हुई, लेकिन सियासी रसूख और दौलत की बदौलत फाइलें दबा दी गई। इस बार जमीन के 'जिन्न' से बचना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है।

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फिल्म शोले में गब्बर ने जब पूछा कि अब तेरा क्या होगा कालिया? तो कालिया ने यह दुहाई देते हुए बचाव किया कि सरदार! मैंने आपका नमक खाया है। जनपद की जानसठ तहसील में खुले सरकारी जमीन के घोटाले में 'गब्बर' भी है और 'कालिया' भी। ये 'कालिया' राजस्व निरीक्षक से लेकर एसडीएम तक के वो अधिकारी है, जिनके घर तो सरकार की तनख्वाह से चले, लेकिन उन पर हुक्म सरदार यानी पूर्व लेखपाल शिवकुमार का चला। वर्ष 1986 में हस्तिनापुर क्षेत्र के वन अभ्यारण्य घोषित होने के बाद 40 एसडीएम रहे, जबकि 28 तहसीलदार। जागरण की पड़ताल में खुलासा हुआ कि चार गांवों शुक्रताल खादर, शुक्रताल बांगर, फिरोजपुर, मजलिसपुर में ही 1906 लोगों को सार्वजनिक प्रयोजन के लिए आरक्षित करीब 19521.1875 बीघा जमीन का बंदरबांट किया गया। दैनिक जागरण के हाथ लगी रिपोर्ट को खंगाला गया तो लेखपाल ही नहीं, कई राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार और एसडीएम के भेद खुल गए। इनमें लेखपाल की कलम चलते ही, राजस्व निरीक्षक ने रिपोर्ट लगा दी। इसके बाद नायब तहसीलदार, तहसीलदार और खुद उप जिलाधिकारियों ने स्थलीय निरीक्षण कर 'बंदरबांट' की स्वीकृति दी। इनके खिलाफ कार्रवाई संस्तुति समेत मिली रिपोर्ट और बंदरबांट के खुलासे के बाद तत्कालीन अफसरों की भी फाइल प्रशासन ने खोल दी है। हालांकि कुछ अफसरों ने आवाज भी उठाने की कोशिश की, लेकिन उसे हर हथकंडा अपनाकर दबा दिया गया।

-इनसेट

बंदरबांट की खुली छूट की ये हैं बानगी

लेखपाल व राजस्व निरीक्षक की रिपोर्ट के बाद नायब तहसीलदार, तहसीलदार, एसडीएम खुद मौके पर निरीक्षण किया। यह सिर्फ बानगीभर है, ऐसे दर्जनों मामले हैं। स्थलीय निरीक्षण के बाद गंगा नदी, रेत, झील, खोला, बंजर, नाला आदि का आवंटन से हुक्मरान भी कटघरे में हैं..

-मई 86 में शुक्रताल खादर में 615 बीघा जमीन के आवंटन की स्वीकृति

-अप्रैल 88 में मजलिसपुर में 1705.155 बीघा जमीन आवंटन की स्वीकृति

-दिसंबर 89 में शुक्रताल खादर में 570.285 बीघा जमीन के आवंटन की स्वीकृति

-जून 91 में शुक्रताल बांगर में 18.69 बीघा के आवंटन की स्वीकृति

-मई 92 में मजलिसपुर क्षेत्र में 2148.165 बीघा जमीन के आवंटन की स्वीकृति

-दिसंबर 95 में शुक्रताल खादर में करीब 733.41 बीघा जमीन की स्वीकृति दी गई।

-जून 96 में शुक्रताल की करीब 22.725 बीघा आरक्षित जमीन की स्वीकृति

-अगस्त 98 में फिरोजपुर बांगर में 79.95 बीघा आवंटन की अनुमति

-अप्रैल 03 में मजलिसपुर में 228.60 बीघा जमीन के आवंटन की स्वीकृति

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''सभी बिंदुओं पर जांच की जा रही है। जिन कर्मचारियों या अधिकारियों की मिलीभगत या लापरवाही उनकी जांच की जा रही है। कड़ी कार्रवाई की जाएगी।''

-कौशल राज शर्मा, जिलाधिकारी


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