गद्य की विकराल स्थिति में लिखी जा रही कविता : अशोक वाजपेयी
मुजफ्फरनगर : लब्धप्रतिष्ठ कवि अशोक वाजपेयी ने कहा कि हमारा समय सरलीकरण और सामान्यीकरण का है और कविता
मुजफ्फरनगर : लब्धप्रतिष्ठ कवि अशोक वाजपेयी ने कहा कि हमारा समय सरलीकरण और सामान्यीकरण का है और कविता इनके विरुद्ध अथक सत्याग्रह है। कविता का सच अधूरा सच होता है वह पूर्ण तब होता है जब हम उसमें थोड़ा सच और मिलाते हैं। यह गद्य की विकराल उपस्थिति में लिखी जा रही कविता है।
अशोक वाजपेयी ने एसडी कालेज में सरोकार-2014 के अंतर्गत आयोजित व्याख्यान में कहा कि यह कविता उस समाज में लिखी जा रही है जो अपने साहित्य और लेखकों से बेखबर है। उन्होंने समकालीन 'हिन्दी कविता: दशा और दिशा' विषय अपने व्याख्यान में कहा कि हिन्दी में ही नहीं बल्कि सारे संसार में कविता एक जरूरी लेकिन अल्पसंख्यक कार्रवाई है। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि कविता की समझ और जगह बढ़ाने-बचाने का काम जिन संस्थाओं को करना चाहिए वे इस ओर उदासीन हैं। एसडी कालेज के प्राचार्य डा. अनिल गुप्ता ने कहा कि अशोक वाजपेयी का इस नगर में आना बड़ी बात है। भाषा पर केवल साहित्यकारों का ही अधिकार नहीं, बल्कि आम आदमी ही भाषा को बनाता और बचाता है। वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. जगदीश प्रसाद सविता ने कहा कि आज जिस काल में कविता लिखी जा रही है वह अशुद्ध और विचित्र है। तमाम जटिलताओं के बावजूद कविता कहीं अवरुद्ध नहीं है। यहां रोहित कौशिक, अमित धर्मसिंह, केडी गौतम एड., डा. चन्द्रकांत कौशिक, डा. बीके मिश्र, बलदेव कृष्ण कपूर, डा. बीएस त्यागी, विश्वम्भर पांडेय, रमेन्द्र सिंह, शिवकुमार, सुरेन्द्र वत्स, मोहित आदि मौजूद रहे।