रेलवे पर दबाव के लिए शासन से गुहार
मुरादाबाद : सीवर लाइन का काम पांच महीने से बंद पड़ा है। केंद्र सरकार की नमामि गंगे के तहत
मुरादाबाद :
सीवर लाइन का काम पांच महीने से बंद पड़ा है। केंद्र सरकार की नमामि गंगे के तहत नालों को सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ने की योजना का काम अड़चनों के कारण रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है। रेलवे प्रशासन अपनी कालोनी के 20 किमी क्षेत्र में सीवर लाइन की खोदाई नहीं करने दे रहा है। दो साल से जल निगम अधिकारी रेलवे अफसरों के चक्कर लगाकर थक गए हैं और अब प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह को इस संबंध में अवगत करा दिया है।
केंद्र सरकार की इस योजना में रेलवे द्वारा रोड़ा अटकाए जाने से नहीं लगता कि जून 2018 तक सीवर लाइन खोदाई का काम पूरा हो पाएगा। रेलवे अनुमति नहीं देता है तो अब रेलवे की कालोनी का हिस्सा छोड़कर शेष 60 किमी का काम पूरा किया जाएगा और प्रदेश व केंद्र को रिपोर्ट भेज दी जाएगी। रेलवे अफसरों की हठ धर्मिता से केंद्र सरकार की नमामि गंगे योजना फेल होना तय है। कारण, शहर के सभी नालों को सीवर लाइन से कनेक्ट करना है, जिससे इसका पानी गुलाबबाड़ी में निर्मित सीवर ट्रीटमेंट प्लांट(एसटीपी) ले जाकर ट्रीट किया जा सके। इसके बाद ही गंगा की सहायक नदी रामगंगा में साफ पानी गिरेगा। 58 मिलियन लीटर की क्षमता वाले इस एसटीपी में रेलवे का पानी नहीं गया तो रामगंगा में गंदा पानी जाता रहेगा। जिससे रामगंगा व गंगा को प्रदूषित होने से रोकने की कवायद बेकार ही साबित होती नजर आ रही है।
जल निगम अफसरों के अनुसार रेलवे अफसरों से मिलकर सीवर लाइन खोदाई की अनुमति मांगी थी इस पर अफसरों ने मौखिक सहमति तो दी लेकिन लिखित परमीशन से कन्नी काट ली। मौखिक परमीशन के आधार पर पिछले दिनों जल निगम ने काम शुरू करा दिया था लेकिन डीआरएम कार्यालय के इंजीनियरों ने मौके पर जाकर काम रोक दिया। दो साल में जिला प्रशासन व रेलवे से कई बार अनुमति के लिए प्रयास हो चुके हैं लेकिन अभी तक मामला लटका हुआ है।
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शहर के जनप्रतिनिधि भी सुस्त
एक तरफ सरकार योजनाओं को तेजी से पूरा करने को समीक्षा दर समीक्षा कर रही है, उधर अड़चनों को दूर कराने में जन प्रतिनिधियों ने तो एक तरह से कदम पीछे खींच रखे हैं। केंद्र व उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार होते हुए भी रेलवे से अनुमति नहीं मिलना केंद्र के विपरीत काम करने की ओर इशारा है। अगर कहीं कोई तकनीकी दिक्कतें हैं तो उस पर बैठकर बात की जा सकती है लेकिन अभी तक ऐसा कोई प्रयास नहीं किया कि जल निगम, रेलवे, प्रशासन ने इस पर चर्चा की हो। यही हाल रहा तो जून 2018 तक 80 किमी खोदाई में रेलवे के हिस्से में सीवर लाइन बिछने से रह जाएगी।
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वर्ष 2012 से चल रहा है सीवर लाइन डालने का काम
शहर में 2012 में 264 किमी सीवर लाइन खोदाई का काम शुरू हुआ था जो जून 2016 में पूरा होना था लेकिन सीवर लाइन खोदाई के दौरान इंद्रा चौक हादसे में तीन लोगों की मृत्यु के बाद काम रुक गया था। डेढ़ साल बाद काम शुरू होने से इसको पूरा करने का लक्ष्य भी बढ़ाकर जून 2018 करना पड़ा था लेकिन जिस तरह की अड़चने आ रही उससे नहीं लगता कि समय से सीवर लाइन का काम खत्म हो पाएगा।
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वर्जन
प्रमुख सचिव को इस संबंध में जानकारी दे दी है। उन्होंने केंद्र सरकार को अवगत कराने का आश्वासन दिया है। 20 किमी सीवर लाइन रेलवे की कालोनियों में बिछाई जानी है। अनुमति मिल जाती तो अब तक काम रेलवे कालोनी में सीवर लाइन बिछाने का काम खत्म हो गया होता।
महेंद्र कुमार, परियोजना प्रबंधक, जल निगम
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रेल प्रशासन पर मढ़ा जा रहा दोष
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद :
मंडल रेल प्रबंधक अजय कुमार सिंघल ने बताया कि कुछ रेलवे कालोनी में सीवर लाइन रेलवे डाल चुका है, लेकिन पुरानी रेलवे कालोनी में सीवर लाइन नहीं डाली है। दो माह पहले जल निगम के अधिकारी रेलवे हरथला कालोनी में सीवर लाइन डालने की अनुमति मांगने पहुंचे थे। जल निगम अधिकारियों को बताया कि हरथला कालोनी में भूमिगत बिजली के तार और ट्रेन संचालन के लिए टेलीफोन के तार डाले गए हैं। खुदाई के दौरान तार को कटाने से बचाना होगा। तार कट जाने पर तत्काल सूचना देकर तार की मरम्मत करनी होगी। खुदाई के बाद सड़क का निर्माण करना पड़ेगा। खुदाई में सहयोग के लिए इंजीनिय¨रग के अधिकारी उपलब्ध कराया जाएगा, जो कहां भूमिगत केबिल पड़ा हुआ है,यह जानकारी देगा। इस शर्त पर सीवर लाइन डालने के लिए इंजीनिय¨रग विभाग के अधिकारी के पास भेज दिया था। उसके बाद जल निगम का कोई अधिकारी शर्त के अनुसार सीवर लाइन डालने का आदेश लेने नहीं पहुंचा है।
माना जा रहा है कि जल निगम सीवर लाइन डालने में खुदाई करने को पूरी तरह से तैयार नहीं है, इसका सारा दोष रेल प्रशासन पर मढ़ने का प्रयास कर रहा है।