यात्रियों को लूटने में जुटे हैं पेंट्रीकार संचालक
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद: शिकायत के बाद भी पेंट्रीकार संचालकों को रेलवे अधिकारियों का खौफ नहीं
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद:
शिकायत के बाद भी पेंट्रीकार संचालकों को रेलवे अधिकारियों का खौफ नहीं हैं। बिना रोक-टोक यात्रियों के खाने की मनमानी कीमत वसूली जा रही है।
काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस के पेंट्रीकार संचालकों द्वारा खाने की तीन गुना अधिक कीमत लेने की यात्री द्वारा शिकायत करने के बाद भी रेल प्रशासन नहीं चेता है। इसका नतीजा यह है कि पेंट्रीकार संचालन अभी भी खुले आम यात्रियों को घटिया खाना देकर मनमानी कीमत वसूलने में जुटे है, जबकि पेंट्रीकार संचालक पर निगरानी के लिए दिल्ली, गाजियाबाद, हापुड़, मुरादाबाद, बरेली, शाहजहांपुर, हरदोई लखनऊ में मुख्य वाणिज्य निरीक्षक, मुख्य निरीक्षक के अलावा सभी स्टेशन अधीक्षकों, मुख्य टिकट निरीक्षकों, गार्ड व टीटीई तैनात है, लेकिन इनमें से किसी ने भी चेकिंग नहीं की है। पेंट्रीकार संचालकों द्वारा ट्रेन में तैनात कर्मचारियों को फ्री में खाना, चाय उपलब्ध कराया जाता है, इसलिए पेंट्रीकार की चेकिंग तक नहीं होती है। मुख्य खाद्य निरीक्षक ने छह माह में एक भी खाद्य पदार्थ का नमूना नहीं लिया है। रेलवे के वाणिज्य कंट्रोल रूम टेलीफोन संख्या 138 पर उत्तर रेलवे में प्रत्येक माह 150 से अधिक घटिया खाने और यात्रियों से अधिक कीमत वसूलने की शिकायतें आती है। जिसकी उत्तर रेलवे मुख्यालय की ओर से जांच भी होती है, लेकिन इसमें जांच अधिकारी बयान लेने के नाम पर शिकायत करने वाले से बेतुके सवाल पूछकर उसे उलझा देते हैं। इसके बाद शिकायत करने वाला बयान देने नहीं जाता है। जिसका लाभ पेंट्रीकार संचालक को मिल जाता है। प्रवर मंडल वाणिज्य प्रबंधक विवेक शर्मा ने बताया कि शिकायत मिलने पर पेंट्रीकार की जांच कराई जाती है। दोषी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मुख्यालय को रिपार्ट भी भेजी जाती है। 74 स्टाफ की कमी है, ऐसे हालात में नियमित पेंट्रीकार की जांच नहीं कराई जा सकती है।
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घटिया खाना मिलने की ट्वीट कई बार रेल मंत्री से की गई है। उसके बाद भी ट्रेनों में घटिया खाना मिलना बंद नहीं हुआ है। अब शिकायत करना ही बंद कर दिया है। घर से खाना लेकर चलते हैं।
शुभांगी
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खाने की अधिक कीमत लेने का विरोध करने पर पेंट्रीकार संचालक अभद्र व्यवहार करते हैं। टीटीई व रेलवे पुलिस भी पेंट्रीकार संचालक का पक्ष लेता है।
तोताराम
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शिकायत करने से ट्रेन की खान-पान व्यवस्था नहीं सुधरेगी, बल्कि ट्रेनों में कई वेंडरों को खाने का सामान बेचने का लाइसेंस दे देना चाहिए, प्रतिस्पद्र्धा के बाद ही खाने की गुणवत्ता-कीमत में सुधार आएगा।
गोविंदी
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ट्रेन में उपलब्ध खाने को लेकर रेल मंत्री बयानबाजी करने के बजाए सुधार के ठोस कदम उठाएं। घटिया खाना देने वाले और इस पर निगरानी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। इसके बाद ही सुधार की उम्मीद की जा सकती है।
कमल सिंह