युवाओं को उद्यमी बनाने में आगे रहा उद्योग विभाग
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद : जिला उद्योग केंद्र की ओर से युवाओं को स्वरोजगार की ओर प्रेरित करने क
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद :
जिला उद्योग केंद्र की ओर से युवाओं को स्वरोजगार की ओर प्रेरित करने के उद्देश्य योजनाएं सफल साबित हुई। युवाओं ने योजनाओं का लाभ उठाया। विभाग को दो योजनाओं के तहत मिला बजट अंतिम समय तक 90 फीसद तक समाप्त हो गया। बाकी बचे दिनों में शेष फाइलों के निस्तारण होने की उम्मीद है। इससे उनका लक्ष्य सौ फीसद हो जाएगा और उन्हें बजट वापस करने की नौबत नहीं आएगी।
जिला उद्योग केंद्र से केंद्र और राज्य की एक-एक युवाओं को उद्यमिता से जोड़ने के लिए संचालित हो रही हैं। इसके तहत वित्तीय वर्ष 2016-17 में समाजवादी युवा स्वरोजगार योजना के तहत 97.98 लाख रुपया मिला था। इस योजना के तहत विभाग चयनित अभ्यर्थी को 25 फीसद धनराशि उपलब्ध कराता है जबकि 75 फीसद का उसे बैंक से लोन दिलाया जाता है। इसके तहत लगभग 70 लाख रुपये का बजट आवंटित कर दिया गया। करीब 18.20 लाख रुपये की फाइलें बैंक में अटकी हुई हैं। बैंक से क्लीयर हो जाने पर अभ्यर्थियों को विभाग की ओर से बजट धनराशि उपलब्ध करा दी जाएगी।
वहीं प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत विभाग को एक करोड़ 19 लाख रुपये का बजट मिला था। योजना में चयनित पात्र को 25 लाख रुपये तक का लोन उपलब्ध कराया जा सकता है। ये धनराशि उद्यम की कुल पूंजी का 25 फीसद से अधिक नहीं होगी। शेष धनराशि बैंक से ही मिलेगी। आवेदनकर्ताओं में स चयनित अभ्यर्थियो को एक करोड़ 13 लाख रुपये स्वीकृत हो चुके हैं। अभी 12 फाइलें बैंक के स्तर पर रुकी हुई हैं। इसमें दो अभ्यर्थी सभी मानकों को पूरा कर चुके हैं। ऐसे में उनकी योजना का बजट लैप्स नहीं होगा और विभाग सौ फीसद टारगेट पूरा कर लेगा।
समाजवादी युवा रोजगार योजना के तहत 97.98 लाख रुपये मिले थे। इसमें 70 लाख का आवंटन हो चुका है। शेष फाइलें प्रक्रिया में हैं जिनके स्वीकृत होने उम्मीद है। वहीं प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना में एक करोड़ 19 लाख रुपये मिले। इसमें एक करोड़ 13 लाख आवंटित हो चुके हैं। हमें बजट वापस करने की जरूरत शायद ही पडे़।
श्रीनाथ पासवान, उपायुक्त जिला उद्योग केंद्र।
एसबीआइ से नहीं मिला सहयोग
स्वरोजगार के लिए चलाई जा रही योजनाओं में बैंकों की ओर से सहयोग जरूरी है। उपायुक्त जिला उद्योग केंद्र श्रीनाथ पासवान ने बताया कि सभी बैंकों से सहयोग मिला, लेकिन एसबीआइ की ओर से सबसे ज्यादा दिक्कतें आई। बैंक को विभाग की ओर से 29 फाइलें लोन के लिए स्वीकृत करके भेजी गई थीं। पूरे वित्तीय वर्ष में केवल एक फाइल पास हुई। इसकी शिकायत जिलाधिकारी से लेकर बैंक अध्यक्ष तक से की गई, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ। वित्तीय वर्ष समाप्त हो रहा है और सर्वाधिक फाइलें वहीं फंसी हुई हैं।