देश की धरती पर छात्रों को मिलेगा विदेशी ज्ञान
नीलम सिंह, मुरादाबाद : अब वह दिन दूर नहीं जब छात्रों को देश में रहकर विदेशी संस्थानों से मान्यता प्र
नीलम सिंह, मुरादाबाद : अब वह दिन दूर नहीं जब छात्रों को देश में रहकर विदेशी संस्थानों से मान्यता प्राप्त कोर्स करने का मौका मिलेगा। केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए नए नियम के मुताबिक कोई भी राज्य विश्वविद्यालय यूजीसी में आवेदन कर विदेशी कालेज या विश्वविद्यालय से कोर्स पढ़ाने का समझौता कर सकता है। इससे न सिर्फ छात्रों का पैसा बचेगा, बल्कि आसानी से दो देशों की तकनीक का भी आदान-प्रदान हो सकेगा।
पहले सिर्फ विदेशी संस्थान करते थे पहल
यूपीए-दो सरकार ने नियम बनाया था कि विदेशी संस्थान यूजीसी को आवेदन कर सकते हैं। वर्ष 2012 में बने इस नियम के बावजूद अभी तक यूजीसी को एक भी आवेदन प्राप्त नहीं हुआ था। वर्तमान केंद्र सरकार ने तेजी से विकसित होती तकनीक के आदान-प्रदान के लिए नियम को आसान बनाते हुए अब यह अधिकार राज्य विश्वविद्यालय को भी दे दिया है। नियम के मुताबिक आवेदन मिलने के दो महीने के अंदर यूजीसी को फैसला करना होगा।
विदेश में पढ़ने का भी मौका
शैक्षिक सहयोग के तहत यदि किसी विदेशी विश्वविद्यालय या कालेज से राज्य विश्वविद्यालय का समन्वय स्थापित हो जाता है तो छात्रों को स्नातक का कोर्स करने के लिए दो सेमेस्टर और परास्नातक का कोर्स के दौरान एक सेमेस्टर के लिए विदेश में जाकर संबंधित संस्थान में पढ़ाई करने का अवसर प्राप्त हो सकता है।
शोध के क्षेत्र को मिलेगा बढ़ावा
इस नियम के बाद अपने देश में शोध के नए आयाम खुलेंगे। प्रतिभावान छात्र देश में रहकर ही नए-नए शोध कर सकेंगे। साथ ही तकनीक का आदान-प्रदान भी आसान हो जाएगा। एक रिपोर्ट के अनुसार प्रति वर्ष लगभग 90 हजार से एक लाख छात्र विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए जाते हैं। इससे छात्रों के पलायन पर भी रोक लगेगी।
फर्जीवाड़े की कार्रवाई कर सकेगा यूजीसी
विश्वविद्यालय की गतिविधि पर यूजीसी की सीधी नजर रहती है। ऐसे में यदि कोई विश्वविद्यालय छात्रों को विदेशी संस्थान में पढ़ाई का लालच देकर फर्जीवाड़ा करता है तो यूजीसी की सिफारिश पर राज्य सरकार को कार्रवाई करनी पड़ेगी।
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वर्जन..
इसका लाभ उन्हीं विश्वविद्यालय या कालेजों को मिलेगा जो एआइईसीटी, यूजीसी या अन्य विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त होंगे। यह पहल भारतीय छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए मील का पत्थर साबित होगी। हमारी शिक्षा और शैक्षिक संस्थानों के स्तर में बदलाव लाएगा। युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
डॉ. पंकज शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर व समन्वयक, इंटरप्रिन्योर सेल।