'मैसेज' बना मौत की वजह
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद : नैनीताल में गुरुवार शाम हुए हादसे के बाद शुक्रवार देर शाम दोनों शव पीटी
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद : नैनीताल में गुरुवार शाम हुए हादसे के बाद शुक्रवार देर शाम दोनों शव पीटीसी परिसर में लाए गए। शवों को देखकर जहां परिवार वालों का बुरा हाल था वहीं रमेश के परिवार के संबंध कॉलोनी में अच्छे होने के कारण आसपास के लोगों की आंखे भी नम थीं। रात में शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया। देर शाम तक रमेश लाल की पत्नी कमला को यह नहीं बताया गया था कि उनके पति और बेटी की मृत्यु हो गई है। बाद में शव देखते ही कमला बदहवास हो गई और बेटी के शव को हाथों में लेकर अचेत हो गई।
पीटीसी निवासी रमेश लाल के बेटे नीरज की बारात गुरुवार को नैनीताल के बेरीनाग को रवाना हुई थी। नैनीताल में बेकाबू होकर इनोवा कार खाई में गिर गई थी जिसमें रमेश व उनकी बेटी बबली की मौत हो गई थी। शुक्रवार को वहां से वापस आए लोगों ने बताया कि शाम हादसे के दौरान चालक इनोवा चला रहा था। अचानक मोबाइल पर कोई मैसेज आ गया। चालक मैसेज देखने लगा और इनोवा अनियंत्रित होकर खाई में पलट गई। काफी गहरे तक जाने के बाद इनोवा पत्थरों से टकराकर रुकी। हादसे के दो घंटे बाद पहुंची पुलिस ने घायलों व मृतकों को बाहर निकाला। हादसे के कुछ देर पहले ही इनोवा से उतरकर फोटोग्राफर पप्पू व पम्मा बस में सवार हो गए थे। चालक का पता शुक्रवार देर रात तक नहीं चल सका।
बहू की जगह मिले पति और बेटी के शव
रमेश लाल और कमला देवी की बड़ी तमन्ना थी कि बड़े बेटे नीरज की शादी धूमधाम से करें। कुछ दिनों तक पत्रकारिता करने के बाद नीरज की अच्छी नौकरी भी लग गई थी। बड़ी खुशी से नीरज की शादी बेरीनाग में तय की गई। गुरुवार को बारात धूमधाम से विदा की गई। कमला देवी ने रस्मों रिवाज के बाद बेटे को बहू लेकर आने के लिए कहा, साथ ही बेटी बबली को भी विदा के बाद भाभी को सही से लाने की हिदायत दी थी। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। बहू का इंतजार कर रही कमला देवी को बेटी और पति का शव मिला।
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ढांढस बंधाते हुए निकले आंसू
देर शाम शव जब पीटीसी परिसर में पहुंचे तो हर आंख नम थी। बेटे मां को समझा रहे थे तो अन्य रिश्तेदार भी कमला देवी को शांत करा रहे थे। बड़ा बेटा नीरज व छोटा बेटा पंकज मां तथा अन्य रिश्तेदारों को सांत्वना दे रहे थे। कमला देवी को जहां इकलौती बेटी और पति की मौत का दु:ख था वहीं पंकज व नीरज का इकलौती बहन को डोली में बिठाने का सपना भी अधूरा रह गया। परिवार वालों ने सोचा था कि नीरज की शादी के बाद बबली की शादी की जाएगी।
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अधिकारियों के साथ कर्मचारी भी पहुंचे अंतिम दर्शन को
रमेश लाल और बेटी बबली के शव घर के बाहर रखे थे। कल तक सिर पर सेहरा सजाने का सपना संजोने वाले नीरज के बाल बनाए जा रहे थे। रीति रिवाज के अनुसार उसे पिता और बहन का अंतिम संस्कार करना था। बहन की चिता को आग देते समय नीरज के हाथ कांप उठे। परिवार वालों और रिश्तेदारों ने उसे संभाला। शवों के अंतिम दर्शन के लिए पीटीसी के अधिकारियों और कर्मचारियों का हुजूम रमेश लाल के घर के पास पहुंच गया था।