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जिंदगी के लिए नासूर बना दूषित पानी

रईस शेख, मुरादाबाद: इन्सान खाने के बिना तो कई दिन तक जिंदा रह सकता है, लेकिन शुद्ध पानी के बिना हर

By Edited By: Published: Mon, 03 Aug 2015 01:46 AM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2015 01:46 AM (IST)
जिंदगी के लिए नासूर बना दूषित पानी

रईस शेख, मुरादाबाद:

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इन्सान खाने के बिना तो कई दिन तक जिंदा रह सकता है, लेकिन शुद्ध पानी के बिना हरगिज नहीं। शुद्ध पानी को जीवन के लिए बहुत जरूरी माना गया है। इसका जिक्र धार्मिक ग्रंथों में भी है। अशुद्ध पानी जिंदगी के लिए नासूर और संक्रामक रोग फैलाने वाला होता है। केंद्र व प्रदेश सरकार शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए करोड़ों रुपये हर साल खर्च कर रही है। इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश बाशिन्दे आज भी दूषित पानी पीने के लिए मजबूर हैं। इनकी ओर न तो खास लोगों का ध्यान है न ही अफसरशाही का।

हैंडपंपों की दरकार

2011 की जनगणना के अनुसार जनपद की आबादी 31,11,493 है। शासन ने सौ की आबादी पर एक हैंडपंप लगाने की जरूरत महसूस की है, लेकिन यह सब ख्वाब ही है। आंकड़ों पर गौर करें तो करोड़ों रुपये बर्बाद होने के बावजूद पेयजल की स्थिति में सुधार नहीं हो पाया है। आवाम को सुविधा पहुंचाने के लिए अभी हजारों हैंडपंपों की दरकार है। सभी को शुद्ध जल मुहैया कराना तो दरकिनार फिलवक्त ढाई सौ की आबादी के हिसाब से भी गांवों में हैंडपंप नहीं है।

यह है स्थिति

ग्रामीण क्षेत्र में कुल हैंडपंप- 19508

क्रियाशील 18354

खराब-

1154

नगरीय क्षेत्र-

कुल हैंडपंप- 2840

क्रियाशील- 2713

खराब- 127

लोहिया गांवों में हैंडपंप- 1072

लापरवाही बनी सबब

सरकारी खजाने का सबसे ज्यादा दुरुपयोग अफसरशाही कर रही है। कहीं जनता हैंडपंप के लिए तरस रही है तो कहीं जंगलों में ही हैंडपंप खड़े कर दिए गए हैं। दूसरे जो हैंडपंप लगाए गए हैं, वो मानक को दरकिनार कर कम गहराई पर लगा दिए गए हैं। यह हैंडपंप 80-90 फिट की गहराई पर ही हैं, जिनसे इनका पानी कुछ समय बाद ही दूषित हो जाता है। जबकि निजी हैंडपंपों की गहराई आमतौर पर 40- 60 फिट तक होती है।

पैदा होती हैं बीमारियां

चिकित्सकों की माने तो दूषित पानी का इस्तेमाल करने से दिमागी बुखार, पीलिया, डायरिया, टायफायड, पेट दर्द व पथरी जैसे रोग पैदा होते हैं। जो इन्सान को कमजोर बना देते हैं। दूषित पानी पीने से दुधारू पशु कम दूध देने लगते हैं। अन्य संक्रामक बीमारियां पैदा हो जाती हैं।

पानी के नमूने

जल निगम अधिकारियों की मानें तो पानी की जांच के लिए प्रधान व रोजगार सेवकों को जांच किट व शीशी मुहैया करा दी गई है। अब तक लिए गए नमूनों में अधिकांश का पानी दूषित पाया गया है। प्रधान इरशाद अली जाहिदुपर सीकमपुर, हाफिज फिदा हुसैन- दौलपुरी बमनिया, देवेंद्र सिंह-लालपुर, पार्षद मुहम्मद इरफान- मैनाठेर, नवनीत शर्मा- जैतपुर के मुताबिक गांवों में हैंडपंप मानक के अनुसार नही लगाए गए। गंदा पानी निकलने से ग्रामीण परेशान हैं। आरोप है कि पानी के सभी नमूने फेल पाए गए।

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एक हजार से ज्यादा नमूने

जल निगम के अनुसार ब्लाक मूंढापांडे, भगतपुर, ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद, छजलैट, बिलारी, डिलारी व कुंदरकी की ग्राम पंचायतों में एक हजार से अधिक नमूने लिए गए। भगतपुर में 230 व मुरादाबाद में सौ से अधिक नमूने फेल पाए गए।

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नहीं गलती दाल

आप माने या नहीं, लेकिन यह हकीकत है। दूषित पानी से सैकड़ों गांवों में दाल व चावल देर से गलते हैं। इन गांवों में बर्तन में रखा गया पानी कुछ देर में ही पीला पड़ने लगता है। नहटौरा, बाकरपुर अटायन, काजीपुरा, सिड़लऊ, घोसीपुरा, सिहाली खद्दर, इस्लाम नगर, लाकड़ी फाजलपुर, ऊमरी, गागन वाली मैनाठेर समेत सौ से अधिक गांवों का पानी पीने योग्य नहीं है। यहां के निजी व सरकारी हैंडपंप मानक से कम गहराई पर लगे हैं। नहटौरा के हाजी बाबू हुसैन, सिहाली खद्दर के इमरान खां, सिड़लऊ के जगत सिंह व घोसीपुरा के महेंद्र सिंह ने हैंडपंपों से दूषित पानी निकलने की बात कही है।

ये होती है कमी

चिकित्सकों के मुताबिक दूषित पानी के इस्तेमाल से पेट दर्द, पेट में सूजन, पेचिस व अन्य बीमारियां हो जाती हैं।

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गंदा पानी पीने से पेट के अनेक रोग पैदा हो जाते हैं। पीलिया, पथरी, डायरिया भी इनमें शामिल है।

डॉ. एसटी हसन, वरिष्ठ चिकित्सक

इस समय पेट के रोगियों की तादाद बढ़ रही है। गंदे पानी का असर हृदय पर भी पड़ता है। इससे तरह तरह के रोग पैदा होते हैं।

डॉ. मुकेश रायजादा, हृदय रोग विशेषज्ञ


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