बगैर लाइसेंस चल रहे सरकारी ब्लड बैंक
मुरादाबाद : सरकारी ब्लड बैंक पिछले बीस दिनों से बगैर लाइसेंस के चलते रहे हैं। राष्ट्रीय एड्स कंट्रो
मुरादाबाद : सरकारी ब्लड बैंक पिछले बीस दिनों से बगैर लाइसेंस के चलते रहे हैं। राष्ट्रीय एड्स कंट्रोल सोसायटी (नाको) के अस्तित्व को लेकर ऊहापोह की स्थिति से ये नौबत आई है। नया वित्तीय वर्ष शुरू हुये बीस दिन से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है लेकिन इस पर कोई कार्रवाई शुरू नहीं हुई है।
निजी व सरकारी ब्लड बैंक नाको के अधीन ही चलते हैं। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने नाको को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं की है। सरकार ने जनवरी 2015 में संसद में एक बिल प्रस्तुत कर नाको को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधीन करने की बात कही। हालांकि, इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं हो सका। तभी से नाको के कामकाज को लेकर अजीबोगरीब स्थिति बन गई। सरकारी ब्लड बैंकों के लाइसेंस हर साल एक अप्रैल को नवीनीकृत होते हैं। इसके लिए मार्च महीने में संबंधित मंडल के असिस्टेंट ड्रग कमिश्नर व जिले के ड्रग इंस्पेक्टर की रिपोर्ट जाती है। मुरादाबाद की बात करें तो यहां के अधिकारियों ने 26 मार्च को रिपोर्ट तो भेज दी लेकिन अभी तक लाइसेंस नवीनीकरण की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। इससे सरकारी ब्लड बैंक ही 'झोलाछाप' की तरह काम कर रहे हैं।
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कर्मचारियों का तो हुआ रिनीवल
नाको के अधीन संचालित कार्यक्रमों में काम करने वाले संविदा कर्मचारियों को तो रिनीवल दे दिया गया है। इनको लेकर भी पिछले हफ्ते ही आदेश आए हैं। उनकी संविदा का 31 मार्च 2016 तक नवीनीकरण किया गया है।
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'इस साल ब्लड बैंक के लाइसेंस का रिन्यूवल नहीं हो सका है, ब्लड बैंक की ओर से आवेदन भिजवा दिया गया है। साथ ही इसकी कापी स्वास्थ्य निदेशालय को भी दी गई है। उम्मीद है कि जल्द ही लाइसेंस का नवीनीकरण कर दिया जाएगा।
- डॉ. संजीव यादव, सीएमओ