एलएंडटी को आशीर्वाद का नतीजा काला अध्याय
मुरादाबाद : गलती दर गलती पर आशीर्वाद बरकरार। निगम बोर्ड में शिकायतों का अंबार, फिर भी एलएंडटी के खिलाफ कार्रवाई नहीं। सम्भल चौराहे पर फ्लाई ओवर का निर्माण, सीवर लाइन के काम में रोक नहीं। नतीजा आज सामने है, चार लोग लापता। मुरादाबाद से लेकर लखनऊ तक अफरा-तफरी।
जी हां 'सीवर का काल' के लिए एलएंडटी के साथ अफसरशाही भी कम जिम्मेदार नहीं है। जब-जब सीवर लाइन डालने वाली इस कंपनी के खिलाफ शिकवे शिकायत का दौर चला, अफसर कंपनी की ढाल बनकर खड़े हो गए। गलियों में सड़क खोदकर डालने से हादसे हुए, सड़के बनने के चंद दिनों बाद उखड़ गईं। कम चौड़े पाइप डालने की आवाज दर्जनों बार उठाई गई, काम धीमी गति से करने को लेकर भी कई बार शिकायतें हुईं। दो साल के अंतराल में निगम बोर्ड की शायद ही कोई बैठक ऐसी रही, जब एलएंडटी के काम पर सवाल नहीं उठाए गए।
हद तब हो गई जब सम्भल चौराहे का फ्लाईओवर निर्माण शुरू होने के साथ ही वैकल्पिक मार्गो पर सीवर लाइन डालने पर रोक लगाने के फैसले के बावजूद इंद्रा चौक व आसपास के इलाकों में सड़क खोद दी गईं। रोजाना हजारों लोग जाम से जूझते रहे। स्कूल से लौटने वाले नौनिहाल गिरकर चुटहिल होते रहे। अफसरशाही फिर भी नहीं जागी। प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री आजम खां ने भी पूर्व में एलएंडटी के काम पर सवाल उठाया। उनकी बात को भी अनसुना कर दिया गया। शायद यह ही कारण रहा कि रविवार को खुद आजम खां को कंपनी व अफसरों के बीच साठगांठ होने की बात कहनी पड़ी। चार लोगों के डूबने के बाद रिपोर्ट एलएंडटी व अफसरों के खिलाफ दर्ज हो रही है। अभी शासन उन अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है जो कंपनी को 'आशीर्वाद' देने में आगे रहे। खामियों को नजरअंदाज करते रहे।
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दमकल विभाग की खुल गई कलई
मुरादाबाद : हमारा दमकल विभाग कितना संजीदा है। इंद्रा चौक पर हादसे की सूचना पर फायर ब्रिगेड की गाड़ियां बिना उपकरण के पहुंच गई। एक घंटे के बाद छोटे इंजन व जेनरेटर का इंतजाम किया गया। मुहल्ले के युवा डूबे लोगों की तलाश में अपनी जान की बाजी लगा रहे थे, लेकिन दमकल विभाग के कर्मी बाहर खड़े होकर तमाशबीन बने थे। टीम के पास न तो गम बूट थे और न ही आक्सीजन सिलेंडर। जिसे लेकर पानी में उतरा जा सके। बैरियर बनाने के लिए रस्सी भी मुहल्ले के लोगों से ही मांगनी पड़ी। कुछ देर बाद छोटा जनरेटर और मोटर लाई गई, जिनसे देर रात से भोर पहर तक पानी निकालने का प्रयास किया जाता रहा। प्रशिक्षित न होने की वजह से आपरेशन भी अनाड़ीपन से चलाया गया। तेजी से पानी निकालने से मिट्टी नीचे बैठती गई और जिन लोगों की तलाश हो रही थी, वे नहीं मिल सके।