कम बारिश से निचले पायदान पर पहुंची खेती
मुरादाबाद : पूर्वजों ने खेती को उत्तम और नौकरी को कम दर्जे वाला करार दिया है, लेकिन आधुनिक दौर में उल्टा है। अब खेती निचले पायदान पर पहुंच गई है। सूखे ने तो खेती को और भी निम्न दर्जे वाला बना दिया है। उत्पादन से ज्यादा लागत ने किसानों की कमर तोड़ दी है।
खरीफ की खेती का दारोमदार बरसात पर है। मुख्य फसल धान को सबसे ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता होती है। अगर बरसात न हो तो रोपाई से फसल पकने तक किसानों को 15-18 सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसबार बरसात देर से होने पर धान के रकबे में दस फीसद की कमी आई है। अब समस्या धान की फसल की सिंचाई की है। नहरें सूखी और राजकीय नलकूप बिजली कटौती से ठप हैं। डीजल महंगा होने से किसानों को एक बीघा धान की सिंचाई करने में ही पसीना छूट रहा है। ग्रामीणों की माने तो सिंचाई न होने से पांच फीसद धान की फसल सूख गई है। लेकिन किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। सूबे की सरकार ने भी कर्ज वसूली पर रोक लगा कर किसानों को झुनझुना थमा दिया।
......................
फसल को जिंदा रखना जरूरी-
गांव ककरघटा निवासी शमशाद हुसैन, नकटपुरी कलां के मुहम्मद इस्माईल, भदासना के सोमपाल, नाजरपुर के भानु प्रकाश यादव, रफातपुर के योगेंद्र यादव कहते हैं कि बरसात की आस में धान की फसल को जिंदा रखना जरूरी है। महंगा डीजल खरीद कर सिंचाई करना पड़ रही है।
...................
अगस्त तक बरसात के आंकड़े-
दरकार- 944 मिमी.
अब तक हुई- 511 मिमी.
कुल- 53 फीसद।
..................
कृषि क्षेत्र- 1.80 लाख हेक्टेयर।
खरीफ का रकबा- 96 हजार हेक्टेयर।
रोपाई नहीं हुई- दस हजार हेक्टेयर।
सिंचाई न होने से प्रभावित- तीन फीसद।
.....................
सिंचाई के साधन-
नहरें- 57।
राजकीय नलकूप- 480
खराब नलकूप- 51
बिजली से ठप- सौ से अधिक।
निजी नलकूप- 1030
निजी पंपसेट- 45,340
......................
धान की फसल की सिंचाई के लिए किसानों को महंगा डीजल खरीदना पड़ रहा है। जैसे तैसे फसल को जीवित किए हुए हैं। फिलवक्त सिंचाई की दरकार है।
यशराज सिंह, जिला कृषि अधिकारी।
........................
सूखे की स्थिति के मद्देनजर शासन ने किसानों से कर्ज वसूली रोकने के आदेश दिए हैं।
फैसल आफताब, सीडीओ