अस्पताल की दहलीज पर छोड़ी 'नन्ही परी'
मुरादाबाद। जिला अस्पताल की सीढि़यों पर शनिवार सुबह तीन महीने की मासूम को कोई लावारिस हाल में छोड़ गया। कुपोषण की शिकार यह बच्ची रोने लगी तो उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। बेड पर बिलखती इस मासूम को जिसने भी देखा, उसके मुंह से बरबस यही निकला कि कौन निर्मोही होगा, जो इस अबोध बच्ची को अस्पताल की दहलीज पर बिलखने के लिए छोड़ गया।
परिजनों की बेरुखी की शिकार हुई यह नन्ही परी फिलहाल जिला अस्पताल की 'मेहमान' है। स्टाफ नर्स इसकी मां बनी हैं और तीमारदार व अन्य स्टाफ परिजन। बोतल से उसे दूध पिलाया जा रहा है तो दुआओं को भी हाथ उठ रहे हैं। परी को कोई निष्ठुर हाथ शनिवार सुबह साढ़े नौ बजे हड्डी वार्ड के जीने के सामने धूप में छोड़ गया था। तीन माह की बच्ची की रोने की आवाज तीमारदारों ने सुनी तो एकबारगी उन्हें लगा कि मां ने धूप में बच्ची को लिटा रखा है, इधर-उधर देखा, वार्ड में भी आवाज लगाई। किसी के नहीं मिलने पर तीमारदार खुद ही उठाकर उसे अस्पताल में ले आए। उसकी उम्र तीन माह के आसपास थी। कुपोषण का शिकार थी। आपातकालीन वार्ड में चिकित्सक ने तत्काल बाल रोग विशेषज्ञ को बुलाकर उसका इलाज शुरू कर दिया। कपड़ों से वह गरीब परिवार की लगी।
अस्पताल कर्मियों ने बच्ची को पहनने के लिए कपड़े की व्यवस्था की और दूध पिलाने के लिए बोतल व दूध लाकर दिया। सभी उसे परी के नाम से पुकारने लगे। चिकित्सा अधीक्षक डा. वीर सिंह ने बताया कि लावारिस बच्ची मिलने की लिखित सूचना एडीएम सिटी को भेजकर उसकी देखभाल कराने और सुपुदर्गी का अनुरोध किया। एडीएम सिटी ने चाइल्ड लाइन को बच्ची की देखभाल करने और सुपुदर्गी में लेने का आदेश दिया है। डा. सिंह ने बताया कि बच्ची काफी कमजोर व बीमार है। उसका इलाज फिलहाल चल रहा है, बच्ची की देखभाल चाइल्ड लाइन के सदस्यों द्वारा की जाएगी। इलाज के बाद चाइल्ड लाइन के सदस्य बच्ची को अपने साथ ले जाएंगे।