नीम-हकीम पर नहीं हो रही कार्रवाई
मीरजापुर : जिले में नीमहकीम मरीजों की जान का दुश्मन बने हुए हैं। वह लंबा चौड़ा चिकित्सा सेवा व डिग्री
मीरजापुर : जिले में नीमहकीम मरीजों की जान का दुश्मन बने हुए हैं। वह लंबा चौड़ा चिकित्सा सेवा व डिग्री का बोर्ड लगाकर गांव गांव गली गली दुकान खोलकर बैठे हुए हैं। बिना रजिस्ट्रेशन लाइसेंस के नर्सिंग होम व क्लिनिक का संचालन हो रहा है।पटेहरा निवासी सुरेश कुमार, रमाशंकर व रामलाल ने डीएम को पत्रक सौंपकर कार्रवाई की मांग की। मड़िहान
क्षेत्र के जमुई, राजापुर, भदौहा, मड़िहान, कलवारी, दीपनगर, पटेहराकला, रजौहा, सुगापांख, शेरूआ व गढ़वा आदि गांव व चट्टी चौराहों पर नीम हकीमों की दुकानें सजी हैं। ये चिकित्सक मरीजों को अपने जाल में फांसने के लिए एमबीबीएस, एमएस, बीएचएमएस, बीएएमएस आदि लंबी चौड़ी डिग्री का बोर्ड लगाए रहते हैं। जो मरीज एक बार इन नीम हकीमों के चक्कर में फंस गया तो दवा काम करे या न करें, मरीज का भयादोहन शुरू हो जाता है। जब मरीज की हालत बिगड़ जाती है तो ये कथित डाक्टर उसको जबाव दे देते हैं। ऐसे में मरीजों को संभालना मुश्किल हो जाता है। उसके जान के लाले पड़ जाते हैं। क्षेत्र में नीमहकीमों के साथ-साथ उसी दाताद में पैथालाजी भी खुल गए हैं। प्राय: एक दो डाक्टरों के बीच में एक पैथलाजी सेंटर खोले गए हैं। आजकल मरीज की जांच कराना एक ट्रेंड बन गया है। नीमहकीम भी मरीज की नाड़ी पकड़ते ही खून व पेशाब आदि की जांच लिख देते हैं। मरीजों को पैथालाजिस्ट की दुकान भी बता दी जाती है। वहां मरीज की जांच कराना मजबूरी हो जाती है। उसको क्या पता कि डाक्टर साहब जिस पैथालाजी पर भेज रहे हैं वहां उसकी जेब कट जाएगी। तमाम ऐसे क्लिनिक, पैथालाजी सेंटर व डिस्पेंसरी है, जिसका रजिस्ट्रेशन व लाइसेंस नहीं हैं। वह धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं। इन अवैध पैथालाजी सेंटर व क्लिनिक पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी प्रभारी चिकित्साधिकारियों की होती है, लेकिन वे अस्पताल से स्वयं गायब रहते हैं। नीम हकीमों के यहां इलाज कराना मरीजों की मजबूरी बन गई है।