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माले ने स्मृति ईरानी से मांगा इस्तीफा

मीरजापुर : जनसमस्याओं के निराकरण में प्रशासनिक उदासीनता के विरोध में भाकपा माले के कार्यकर्ताओं ने

By Edited By: Published: Mon, 08 Feb 2016 09:54 PM (IST)Updated: Mon, 08 Feb 2016 09:54 PM (IST)

मीरजापुर : जनसमस्याओं के निराकरण में प्रशासनिक उदासीनता के विरोध में भाकपा माले के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को रेलवे स्टेशन से कलेक्ट्रेट तक मार्च निकाला। कलेक्ट्रेट में धरना व सभा कर हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के शोध छात्र रोहित वेमुला की हत्या के लिए मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी को जिम्मेदार बताते हुए उनसे इस्तीफा मांगा। कहा कि मांगें पूरी नहीं हुई तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।

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सभा में माले नेताओं ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार नागरिक अधिकारों पर हमला कर रही है। हैदराबाद केंद्रीय विवि में शोध छात्र रोहित की हत्या को संस्थागत हत्या करार देकर पल्ला झाड़ लिया। इस हत्या के लिए जिम्मेदार केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री को मंत्रिमंडल से बर्खास्त नहीं किया गया। मोदी सरकार रेलवे गलियारा के नाम पर किसानों का जमीन हड़पना चाहती है। श्रम कानून में संशोधन के नाम पर मजदूर हितों पर कुठाराघात किया जा रहा है।

माले नेताओं ने जिले को अकालग्रस्त घोषित करके राहत कार्य शुरू करने, सभी प्रकार के कर्ज माफ करने की मांग की। कहा कि सूखा के कारण जिले में पेयजल के लिए हाहाकार मचा है लेकिन सरकार व अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। गरीबों को वितरण के लिए आ रहे अनाज की कालाबाजारी हो रही है। आदिवासी वनाधिकार कानून बनाए दस साल हो गए, लेकिन उसको लागू नहीं किया गया। सरकार आदिवासियों के साथ सरासर अन्याय कर रही है।

आदिवासियों को उजाड़ा जा रहा है, उन पर फर्जी मुकदमा लादकर पलायन के लिए मजबूर किया जा रहा है। इस अवसर पर केंद्रीय कमेटी के नेता मो. सलीम, सुधाकर यादव, जीरा भारती, भक्त प्रकाश श्रीवास्तव, सुरेश कोल, राजू भारत, ओम प्रकाश पटेल व रामकृत बियार ने संबोधित किया।

क्या हैं मांगें

माले कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी के नाम संबोधित पत्रक सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा। इसमें गरीबों को उजाड़ने पर प्रतिबंध लगाने, पेयजल संकट दूर करने, मीरजापुर को अकालग्रस्त घोषित कर राहत कार्य शुरू करने, कैंप लगाकर मजदूरों का पंजीकरण करने, धान क्रय केंद्रों पर भ्रष्टाचार खत्म करने, गरीबों को बीपीएल सूची में शामिल करने, अवैध खनन रोकने, पट्टे की जमीन पर कब्जा दिलाने, कालीन बुनकरों की चार सौ रुपये मजदूरी करने, आदिवासी वनाधिकार कानून लागू करने, रसोइयां, आशा, आंगनबाड़ी, किसान मित्र व पंचायत मित्रों को राज्य कर्मचारी का दर्जन दिए जाने व कैंप लगाकर पेंशन फार्म भरवाने की मांग की।


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