..तो कुंवारे रह जाएंगे सौ पुरुष
अरुण तिवारी
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मीरजापुर : वर्ष 2011 की जनगणना की जो रिपोर्ट आई है वह काफी चौंकाने वाली है। यहां एक हजार पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या 900 है। आंकड़े बताते हैं कि 100 महिलाओं की कमी है जबकि वर्ष 2001 की जनगणना रिपोर्ट में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या 897 थी। महिलाओं की संख्या में इजाफा तो हुआ है लेकिन अभी भी कमी बनी हुई है।
24 लाख 94 हजार 533 लाख की आबादी वाले इस जिले में पुरुषों की संख्या 13 लाख 12 हजार 800 है जबकि 11 लाख 81 हजार 711 महिलाएं हैं। जानकारों का कहना है कि कन्या भ्रूण हत्या को रोक पाने में शासन-प्रशासन अक्षम दिख रहा है। ऐसे तो दुल्हनियां खोजे नहीं मिलेंगी। कन्याओं को दुनिया में आने से पहले हत्या कर दी जा रही है। विज्ञान के चमत्कार तो हुए लेकिन इसका दुरुपयोग भी खूब हो रहा है।
अल्ट्रासाउंड गर्भ में पल रहे भू्रण का पता लगा लिया जा रहा है। यदि लड़का है तो खूब खुशियां मनाई जाती है यदि कहीं लड़की रहती है तो उसे रास्ते से हटाने के लिए डॉक्टरों को मुंह मांगा रकम दी जाती है। धन कमाने के चक्कर में चिकित्सक भी अनैतिक काम करने से बाज नहीं आ रहे हैं। लोगों का कहना है कि यदि भू्रण हत्या पर कड़ाई से अंकुश लग जाय तो महिला एवं पुरुष का अनुपात बराबर हो सकता है।
समाजशास्त्रियों ने जताई चिंता
समाजशास्त्री डाक्टर सोहन यादव ने भी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की घटती संख्या पर चिंता जताई है। कहते हैं कि सबसे बड़ी दिक्कत मध्यम वर्ग के लिए है। भू्रण हत्या सामाजिक कुरीतियों का दोष है। कन्या भू्रण हत्या एक ज्वलंत समस्या है। अब लड़कियों को बोझ समझा जाने लगा है। दहेज के डर से भी लोग पाप कर रहे हैं। जबकि लड़कों के मुकाबले लड़कियां हर क्षेत्र में आगे निकल रही हैं।
चाहे वह हवाई जहाज की पायलटिंग हो अथवा ट्रेन चलाना हो। देश की सीमा की रक्षा से लेकर हर काम में महिलाओं ने अपना लोहा मनवा दिया है।