अनुरक्षण के अभाव में उजड़ रहा घंटाघर
मीरजापुर : जिले की पहचान के रूप में जाना जाने वाला ऐतिहासिक घंटाघर अनुरक्षण के अभाव में दरकता जा रहा है। अब न तो ऐतिहासिक घड़ी समय बताती है न ही पानी का फौव्वारा चलता है। यहां पर हरियाली भी गायब हो गई है, परिसर बच्चों के खेल का मैदान बनकर रह गया है।
ऐतिहासिक घंटाघर और उसमें लगाई गई अंग्रेजों के जमाने की इस घड़ी के समय के अनुसार विंध्य क्षेत्र चलता था। घड़ी के घंटे जब बजते थे तो इसकी आवाज लगभग पांच किमी चारों ओर सुनाई देती थी। लोग इसकी आवाज सुनकर समय जान जाते थे लेकिन एक दशक से यह घड़ी ऐसी बिगड़ी कि फिर नहीं बन पाई। इसके मीनार की दीवार भी दरकती जा रही है। रखरखाव के अभाव में घंटाघर कबाड़ में तब्दील होता जा रहा है।
घंटाघर परिसर में बना पार्क व फौव्वारा तथा लगाए गए फूल पत्तियों को जब कोई देखता था तो देखता ही रह जाता था। इसी भवन में नगरपालिका का समूचा कार्यालय चलता था लेकिन नगरपालिका प्रशासन की उदासीनता से परिसर व भवन का हाल बदहाल हो गया है। परिसर की हरियाली गायब हो गई है। पार्क क्षतिग्रस्त हो गया है। अब परिसर में आवारा पशु दिनरात घूमते रहते हैं।
परिसर अब जनसभा आयोजन प्रयोजन या फिर बच्चों के लिए खेल का मैदान बनकर रह गया है। जिम्मेदार लोगों की उदासीनता से घंटाघर उजड़ता जा रहा है। नागरिकों का आरोप है कि नगरपालिका परिषद अपने ऐतिहासिक घंटाघर का अनुरक्षण नहीं कर पा रहा है।