रेल पटरी:: अमेरिका की आठ करोड़ की मशीन बना रही मेरठ में पटरी
-एक दिन में 20 पटरियां तैयार कर रही मशीन -कैंट स्थित बट वेल्डिंग प्लांट में मौजूद है मशीन दीपक भ
-एक दिन में 20 पटरियां तैयार कर रही मशीन
-कैंट स्थित बट वेल्डिंग प्लांट में मौजूद है मशीन
दीपक भारद्वाज, मेरठ
कैंट स्टेशन स्थित बट वेल्डिंग प्लांट में अमेरिका की मशीन से पटरियां तैयार की जा रही हैं। मशीन की कीमत आठ करोड़ है, जिसे अमेरिका की कंपनी बनाती है। बुलेट ट्रेन परियोजना शुरू होने से पहले जापान के इंजीनियरों की टीम प्लांट का निरीक्षण कर चुकी है। प्लांट में पटरी में उपयोग में लाई जाने वाली मशीनों की जानकारी के लिए जापान इंजीनियरों ने रिपोर्ट तैयार की थी। इसके अलावा उन्होंने भारतीय तकनीक बट वेल्डिंग प्लांट को ट्रैक पर करके देखा था।
बट वेल्डिंग प्लांट में अमेरिका कंपनी बट वेल्डिंग मशीन से बंगाल के ऑपरेटर पटरी को बनाने में लगे हुए हैं। इस बट वेल्डिंग प्लांट को बंद करने के लिए रेलवे ने कई बार सोची, लेकिन प्लांट की उपयोगिता को देखते हुए इस निर्णय को टाल दिया गया। आज यही बट वेल्डिंग प्लांट दिल्ली से लेकर सहारनपुर और देहरादून तक उपयोगी साबित हो रहा है।
डेढ़ घंटे में बनती है 260 मीटर पटरी
मशीन पर लगाए गए बंगाल के ऑपरेटर के अनुसार मशीन से डेढ़ घंटे में 260 मीटर पटरी तैयार की जाती है। भिलाई से 30 मीटर पटरी का हिस्सा बट वेल्डिंग प्लांट भेजा जाता है। इसके बाद यहां इसे 260 मीटर में तैयार किया जाता है। एक हिस्से को आपस में बट वेल्डिंग तकनीक से जोड़ने के लिए तीन मिनट का समय लगता है। एक दिन में 260 मीटर की 20 पटरियां तैयार की जाती हैं।
1970 से चल रहा मेरठ में प्लांट
मेरठ में पचास सालों से बट वेल्डिंग प्लांट में पटरी बनाने का काम चल रहा है। इसके अलावा देश में मुगलसराय, जारसू गुड़गा, साबरमती, एर्नाकुलम मे बट वेल्डिंग प्लांट मौजूद हैं।
इनका कहना है
प्लांट में आधुनिक मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। जिससे किसी भी स्थिति में पटरियों को जल्द से जल्द तैयार किया जा सके। अमेरिका की यह मशीन बट वेल्डिंग तकनीक के लिए उपयोगी साबित हुई।
डॉ विपिन, सीनियर सेक्शन इंजीनियर, बट वेल्डिंग प्लांट