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देहात में बढ़ा अवैध कटान, चोरी छिपे आपूर्ति

मेरठ : अवैध कटान के खिलाफ अभियान का सीधा असर शहर में मीट आपूर्ति पर पड़ रहा है। शहर में सालों से नगर

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Mar 2017 01:39 AM (IST)Updated: Tue, 28 Mar 2017 01:39 AM (IST)
देहात में बढ़ा अवैध कटान, चोरी छिपे आपूर्ति
देहात में बढ़ा अवैध कटान, चोरी छिपे आपूर्ति

मेरठ : अवैध कटान के खिलाफ अभियान का सीधा असर शहर में मीट आपूर्ति पर पड़ रहा है। शहर में सालों से नगर निगम का कमेला बंद पड़ा है। ऐसे में शहर में मीट आपूर्ति मिनी कमेलों से हो रही है। शहर के अलावा गांव-देहात में अवैध कटान से चोरी छिपे आ रहे मीट से आपूर्ति हो रही है।

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अब देहात में होने लगा अवैध कटान

शहर में पुलिस की सख्ती के बाद से अब अवैध कटाने करने वालों ने गांव-देहात की ओर रुख कर लिया है। घोसीपुर स्थित इस कमेले में 350 पशुओं के रोजाना कटान की अनुमति थी। लेकिन पिछले चार साल से कमेला बंद है। ऐसे में शहर में मीट आपूर्ति अटकी पड़ी है। लिसाड़ीगेट, नौचंदी व कोतवाली आदि क्षेत्र के अंतर्गत चल रहे अवैध मिनी कमेलों पर शिकंजा कसा गया है। वहीं देहात में अवैध कटान से शहर में मांस की आपूर्ति हो रही है।

निगम में लगी लाइसेंस लेने को कतार

जनपद में मीट विक्रेताओं की बात करें तो इनकी वास्तविक संख्या चार हजार के करीब है। खोखे, दुकान आदि में करीब चार हजार विक्रेता मीट बेचने का काम कर रहे हैं। लेकिन निगम के आंकड़ों की मानें तो महज 230 विक्रेताओं को ही लाइसेंस निर्गत किए गए हैं। यानि शहर में इतने ही लोग मीट बेचने का काम कर रहे हैं। इन्हें ही कटान की भी अनुमति है। वहीं बीते एक सप्ताह में लाइसेंस लेने की कतार लंबी हो चली है। करीब 140 लोगों ने मीट बेचने के लिए लाइसेंस को आवेदन किया है।

ढाई सौ टन है रोजाना शहर की जरूरत

कमेले में पशु कटान की बात करें तो घोसीपुर स्थित कमेले में 350 पशुओं के रोजाना कटान की अनुमति थी। वहीं चालू सात मीट फैक्ट्रियों में 1600 पशुओं का रोजाना कटान मुनासिब है। अनुमान के मुताबिक मेरठ में 250 टन के करीब मीट की दैनिक आपूर्ति की आवश्यकता है। घोसीपुर स्थित कमेला बंद होने के बाद मीट की यह आपूर्ति अवैध मिनी कमेलों से होने लगी थी। लेकिन अब सख्ती के बाद यह भी चरमरा गयी है। आलम यह है कि शादी, समारोह के लिए भी मीट उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। जिला प्रशासन के पास पशु कटान की अनुमति को लोग पहुंच रहे हैं, लेकिन इन्हें मायूसी ही मिल रही है।

चिकन-मटन संग बढ़े भैंस के मीट के दाम

अवैध पशु कटान पर नकेल के साथ आपूर्ति घट गई है। सड़क किनारे खोखे, दुकान आदि में सरेआम बिकने वाले चिकन के अधिकांश ठिए अब बंद हो गए हैं। व्यवस्थित बाजारों व पुरानी दुकानों पर ही मीट बिक रहा है। ऐसा ही हाल मटन व भैंस के मीट का है। इन सभी के दामों में बीते एक सप्ताह में खासा उछाल आया है।

एक नजर में मीट बाजार

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सप्ताह पहले दर

मुर्गा 242 810 से 950 100-120 120-130

बकरा 110 470 से 540 320-340 420-460

भैंस 350 1250 140-160 200-220

मीट के प्रमुख बाजार व दर

बाजार का नाम मुर्गा बकरा भैंस

प्लाजा सिनेमा, दिल्ली रोड 120 420 180

घंटाघर, रेलवे रोड 110 400 190

खैरनगर मीट वाली गली 130 440 190

कोटला बाजार 120 410 200

तारापुरी 110 420 180

गोलाकुआं 140 410 190

सोहराबगेट सराय बहलीम 130 460 210

ये हैं कमेले के नियम

-पशुओं के परिवहन नियम के मुताबिक एक साथ छह बड़े पशु या दस बकरी, भेड़ आदि को ही एक लॉरी में ले जाया जा सकता है।

-पशुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाकर तुरंत नहीं काटा जा सकता। गंतव्य स्थल पर पहुंचने के तीन-चार दिन बाद ही इनका कटान किया जा सकता है।

-गर्भ धारण करने वाले पशु, बीमार या दुधारू पशु का कटान नहीं किया जा सकता।

-कमेले में पर्यावरण एवं प्रदूषण से निपटने के लिए व्यवस्थित धुलाई एवं निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके लिए ईटीपी प्लांट होना जरूरी है।

-बिना लाइसेंस के कमेले में कटान नहीं किया जा सकता। काटने वाले को प्रशिक्षित होना जरूरी है। उसका भी लाइसेंस होता है।

-एक पशु चिकित्सक प्रतिदिन 12 या सप्ताह में 96 पशुओं से अधिक का परीक्षण नहीं कर सकता।

-किसी भी पशु को कटान से पहले किसी भी तरह की दवा या नशे आदि की डोज नहीं दी जा सकती।

-एक पशु, दूसरे पशु के लिए चिह्नित स्थान पर नहीं काटा जा सकता। यानि बकरी, भेड़ के लिए अलग और भैंस के लिए अलग स्थान निश्चित होना चाहिए।

-पशुओं की खाल को तुरंत कमेले से अन्यत्र ले जाने की व्यवस्था होनी चाहिए। कमेला स्थल पर यह यहां-तहां नहीं पड़ी होनी चाहिए।


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