इंसाफ के लिए प्रोफेसर ने फिर से उठाई कलम
विनय विश्वकर्मा, गंगानगर (मेरठ) शोषण के खिलाफ आवाज उठाने और हर गलत बात के विरुद्ध खडे़ होने का जज
विनय विश्वकर्मा, गंगानगर (मेरठ)
शोषण के खिलाफ आवाज उठाने और हर गलत बात के विरुद्ध खडे़ होने का जज्बा सबमें नहीं होता। लेकिन गंगानगर निवासी सेवानिवृत्त प्रोफेसर उन चंद लोगों में से हैं, जो आज भी नाइंसाफी के खिलाफ अडिग हैं। जरूरतमंदों को हक दिलाना, उत्पीड़न का विरोध करना या अव्यवस्था से टकराना, प्रोफेसर साहब का शगल बन चुका है। वह हर बार सबसे आगे खड़े मिलते हैं। यह प्रोफेसर हैं, केआर मलिक। इनकी मेहनत और लगन का ही असर है कि नगर निगम, एमडीए व जिला प्रशासन भी इनके आगे कई बार नतमस्तक हो चुका है।
गंगानगर के ब्लाक निवासी प्रोफेसर कालूराम मलिक की उम्र अब 76 वर्ष हो चली है, लेकिन शोषण के खिलाफ उनकी हिम्मत और उत्साह जवानों को भी मीलों पीछे छोड़ रहा है। कभी रोहतक स्थित कालेज में जंतु विज्ञान विषय के प्रोफेसर रहे केआर मलिक सेवानिवृत के बाद भी अपनी कलम से इंसाफ की लौ जलाए हुए हैं। प्रोफेसर मलिक बताते हैं कि वर्षो पहले वह गंगानगर में आए तो, उन्हें भी सरकारी उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और विभिन्न माध्यमों से विरोध शुरू किया। पहले आरटीआइ को अपना हथियार बनाया, बाद में जनहित याचिका और अब एनजीटी में भी अपने क्षेत्र की समस्या को लेकर गए हैं। समस्याओं से लड़ने और लोगों की आवाज उठाने के लिए गंगानगर विकास समिति का गठन कराया और अब लोगों की दिक्कतों को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं। अब लोग अपनी समस्याओं के निदान के लिए शिकायती पत्र लिखवाने के लिए भी प्रोफसर के पास पहुंच रहे हैं।
लालच के साथ मिली धमकी
प्रोफेसर मलिक बताते हैं कि समस्याओं के समाधान के लिए नगर निगम और एमडीए के खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई। इसका असर भी दिखा। यहीं नहीं कई बाहर उन्हें लालच दिया गया, नहीं मानने पर धमकी तक मिली। लेकिन उन्होंने अपनी राह पर कदम बढ़ाना जारी रखा। डिवाइडर रोड की सफाई, पथ प्रकाश व्यवस्था, सीवरेज के ढक्कन की समस्या का निदान भी उनकी आरटीआइ डालने के बाद हुआ।
लोगों में जाग रहा भरोसा
शोषण के खिलाफ आवाज उठाने की आदत ने अब प्रोफसर को क्षेत्र में चर्चित कर दिया है। इस कारण कालोनी के साथ देहात के लोग भी प्रोफेसर के पास सलाह के साथ सुझाव और मदद मांगने के लिए आते रहते हैं। मलिक बताते हैं कि अभी तक 50 से अधिक आरटीआइ, गंगानगर की गंदगी और प्रदूषण से जुड़े कई मामले लेकर वह एनजीटी में भी गए। इसके अलावा अन्य जन समस्याओं को लेकर जनहित याचिका भी दाखिल कर चुके हैं। प्रोफेसर मलिक कहते है कि अब लोगों को इंसाफ दिलाना ही उनके जीवन का लक्ष्य बन गया है।