Move to Jagran APP

रंग-बिरंगे पक्षियों को निहारने उमड़े नौनिहाल

मेरठ : पक्षी प्रकृति का गहना होते हैं, जिनके कलरव का सुरमयी संगीत प्रकृति को रास और रंग से सराबोर कर

By Edited By: Published: Sat, 03 Dec 2016 01:42 AM (IST)Updated: Sat, 03 Dec 2016 01:42 AM (IST)
रंग-बिरंगे पक्षियों को निहारने उमड़े नौनिहाल

मेरठ : पक्षी प्रकृति का गहना होते हैं, जिनके कलरव का सुरमयी संगीत प्रकृति को रास और रंग से सराबोर कर देता है। शहर के शांत क्षेत्र में आयोजित बर्ड वाचिंग फेस्टिवल में प¨रदों का सौन्दर्य निहारने बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। स्कूली छात्रों ने पक्षियों की रंग-बिरंगी दुनिया का जीभर दीदार किया। दूरबीन के जरिए पेड़ों पर फुदकते पक्षियों को निहारते हुए नौनिहाल गदगद नजर आए। सुबह साढ़े छह बजे से दस बजे तक आयोजित कार्यक्रम में करीब 30 प्रजातियों के पक्षी देखे गए। स्कूली छात्रों ने पक्षियों के संरक्षण की शपथ भी ली।

loksabha election banner

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर सभी जिलों में शुक्रवार को बर्ड वाचिंग फेस्टिवल का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में प्रकृतिप्रेमी एवं स्कूली छात्रों ने शिरकत की। डीएफओ अदिति शर्मा ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों में पक्षियों के प्रति जागरूकता पैदा करना है। सुबह धुंध एवं कोहरा होने की वजह से काफी देर तक पक्षी नजर नहीं आई, किंतु आसमान साफ होने के बाद लोगों ने दूरबीन निकालकर नई प्रजातियों की गिनती शुरू की। वन विभाग ने भी अपनी तरफ से दूरबीन की व्यवस्था की, जिसके जरिए पेड़ों से लेकर आसमान में उड़ान भरते पंक्षियों को निहारा गया। वन विभाग ने बताया कि इस दौरान प्राकृतिक रूप से विचरण करते हुए करीब 30 प्रकार के पक्षियों को देखा गया। कंपनी बाग में पिजड़ों में बंद पक्षियों की भी प्रदर्शनी देखने बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। वन विभाग ने इस दौरान तीन प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया, जिसमें स्कूली छात्रों ने भाग लिया। पक्षियों को लेकर जानकारी बढ़ाने वाली तमाम किताबों की भी प्रदर्शनी लगी। एक अन्य गलियारे में मेरठ के आसपास रहने वाले ऐसे दर्जनों प्रकार के पक्षियों की फोटो प्रदर्शन भी लगाई गई, जिनमें से कई संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल की जा चुकी हैं। डीएफओ अदिति शर्मा ने बताया कि बर्ड फेस्टिवल सबसे पहले 1986 में लंदन में आयोजित किया गया, जिसके बाद अब दुनिया के तमाम देशों में अलग-अलग एनजीओ मिलकर इसे आयोजित करते हैं। संकटग्रस्त प्रजातियों को पिजड़े में बंद करने को लेकर लोगों को नियम एवं कानून की जानकारी दी गई। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इन पक्षियों को पालने पर सात वर्ष का कारावास एवं 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.