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भारतीय इतिहास के बिगड़े नक्शे को बदले युवा पीढ़ी

जागरण संवाददाता, मेरठ : भारतीय इतिहास लेखन के कई तरह की विकृतियां हैं, जिसमें बहुत से इतिहासकारों ने

By Edited By: Published: Sun, 07 Feb 2016 09:10 PM (IST)Updated: Sun, 07 Feb 2016 09:10 PM (IST)

जागरण संवाददाता, मेरठ : भारतीय इतिहास लेखन के कई तरह की विकृतियां हैं, जिसमें बहुत से इतिहासकारों ने तथ्यों के साथ न्याय नहीं किया है। भारतीय इतिहास को राष्ट्रीयता का बोध कराना चाहिए। रविवार को यह बात वक्ताओं ने कही। अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति और चौ. चरण सिंह विवि की ओर से आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला और संगोष्ठी में वक्ताओं ने इतिहास के कई पहलुओं की ओर ध्यान दिलाया।

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बालेराम ब्रजभूषण सरस्वती शिशु मंदिर इंटर कालेज में आयोजित संगोष्ठी व कार्यशाला के दूसरे दिन भारतीय इतिहास लेखन में पक्षपात व पूर्वाग्रह विषय पर वक्ताओं और शिक्षाविदों ने अपनी बात रखी। इतिहासकार प्रो. सतीश चंद मित्तल ने कहा कि दुनिया के बड़े- बड़े इतिहासकारों ने भी माना है कि वर्तमान में जो इतिहास पढ़ाया जा रहा है, वह इतिहास का विकृत रूप है, जिसे भारत के दृष्टिकोण से फिर से लिखने की जरुरत है। सरस्वती नदी को अमान्य करने वाले सरस्वती को आज मानने लगे हैं। उन्होंने युवा इतिहासकारों का आह्वान किया कि वह भारतीय इतिहास के इस बिगड़े हुए नक्शे को बदलने में सक्षम हैं। पंडित दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रो. ईश्वर चंद्र विश्वकर्मा ने इतिहास लेखन के सूत्र बताते हुए कहा कि इतिहास में बोध वाक्य होना चाहिए। सत्यापन की प्रवृति होनी चाहिए। तथ्यों को वैज्ञानिक और आधुनिक शोध के आधार पर सामने लाना चाहिए। उन्होंने इतिहास लेखन में भाषा को संयत और मर्यादित रखने पर भी जोर दिया। संगोष्ठी में सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि इतिहास राष्ट्रीयता का बोध कराने वाला होना चाहिए। वर्कशाप के अंतिम दिन पश्चिम उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सांस्कृतिक व ऐतिहासिक विरासत और भारतीय इतिहास लेखन में पूर्वाग्रह विषय पर दो दर्जन शोध पत्र प्रस्तुत किए गए, जिसमें गढ़वाल, बरेली, आगरा, कुमायुं, सहारनपुर मंडलों के 39 जिलों के शिक्षक और शोधार्थियों ने हिस्सा लिया। चौ. चरण सिंह विवि में इतिहास विभाग की अध्यक्षा प्रो. आराधना ने धन्यवाद दिया। संगोष्ठी में डा. बीके त्यागी, डा. विध्नेश त्यागी, अजय मित्तल, डा. मुदित, रामअवतार, डा. कुलदीप, वासुदेव, डा. रमा शंकर पांडे, डा. आरसी भट्ट, डा. सुशील आदि उपस्थित रहे।


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