Move to Jagran APP

संस्थागत प्रसव बढ़े पर नहीं घटे मौत के आंकड़े

मेरठ : सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने के लिए लोगों का रुझान बढ़ा है। अस्पतालों में प्रसव के आंकड़े

By Edited By: Published: Sun, 04 Oct 2015 01:43 AM (IST)Updated: Sun, 04 Oct 2015 01:43 AM (IST)
संस्थागत प्रसव बढ़े पर नहीं घटे मौत के आंकड़े

मेरठ : सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने के लिए लोगों का रुझान बढ़ा है। अस्पतालों में प्रसव के आंकड़े बढ़े हैं, लेकिन शिशु मृत्युदर के आंकड़ों में कमी नहीं आ पा रही है। इस पर अंकुश लगाया जाएगा। शनिवार को नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के मैनेजिंग डायरेक्टर (एमडी) अमित घोष ने ये बातें कहीं। उन्होंने महिला चिकित्सालय का दौरा किया। इस दौरान गंदगी पर उन्होंने नाराजगी जताई। बाद में मेरठ समेत छह जनपदों के सीएमओ व अन्य अफसरों संग बैठक की।

loksabha election banner

शनिवार सुबह एनएचएम के एमडी अमित घोष सीधे महिला जिला चिकित्सालय पहुंचे। यहां बच्चों की नर्सरी, लेबर रूम को देखा और मरीजों व तीमारदारों से इलाज के बारे में पूछा। इसके बाद उन्होंने जिला चिकित्सालय में मेरठ, बागपत, बुलंदशहर, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर व हापुड़ जनपदों के सीएमओ व डिविजनल प्रोजेक्ट कंट्रोलर के साथ बैठक की।

बैठक के बाद अमित घोष ने बताया कि शिशुओं की जन्मदर, उनमें विकार, बीमारियां व मृत्युदर पर बिंदुवार मंथन किया गया। उन्होंने बताया कि सरकारी अस्पतालों में प्रसव के मामले बढ़े हैं। साथ ही कहा कि अनेक प्रयासों के बावजूद इनमें शिशु मृत्युदर के आंकड़े कम नहीं हो पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सांस घुटने से बच्चों की मौत होती है। प्रसव के लिए दिए जाने वाले ऑक्सिटोसिन इंजेक्शन को देने में गड़बड़ी इसकी मुख्य वजह है। उन्होंने बताया कि अगर यह इंजेक्शन पहले दिया जाता है तो बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होती है, जबकि देर से देने में किसी बच्चे को डिस्ट्रेस हो जाता है।

एमडी अमित घोष ने बताया कि शुरू के 30 दिन आशा नव प्रसूता को देखने के लिए 6-7 बार जाना होगा। बताया कि एक महीने से छोटे बच्चे के बीमार होने पर एंबुलेंस 102 व 108 दोनों जाएंगी। एक साल तक के बच्चे के बीमार होने पर 102 नंबर एंबूलेंस भेजी जाएगी। वहीं एक से पांच साल के बच्चे के डायरिया या निमोनिया आदि होने पर 102 नंबर एंबूलेंस को भेजा जाएगा।

एमडी ने कहा कि हर वर्ष डायरिया से 37 हजार और निमोनिया से 42 से 43 हजार बच्चों की मौत हो जाती है। बच्चा बार-बार बीमार हो रहा है तो ऐसे गांव चिह्नित किए जाएंगे और संबंधित विभागों को निर्देशित किया जाएगा। उन्होंने 'सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट' को हाइटेक करने के साथ ही विशेष ट्रेनिंग व सुधार की जरूरत बताई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.