'धर्म आत्मा का जागरण है, शरीर की क्रिया नहीं'
मेरठ : श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, तीरगरान में गुरुवार को जैनमुनि सौरभ सागर महाराज ने भक्ति की
मेरठ : श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, तीरगरान में गुरुवार को जैनमुनि सौरभ सागर महाराज ने भक्ति की गंगा बहायी। इस दौरान मुनिश्री ने धर्म का महत्व बताते हुए कहा कि धर्म हृदय का रूपांतरण है, मात्र बाह्य आचरण परिवर्तन नहीं। धर्म आत्मा का जागरण है, शरीर की क्रिया नहीं। लोहे और चुम्बक में एक रंगरूपता होने के बाद भी लोहे में चुम्बकत्व के गुण नहीं होते। उसी तरह धर्म और व्यवहारिक आचरण में एकरूप होने के बाद भी बाह्य क्रिया कांड से परिवर्तन नहीं होता। भीतर से चुम्बकत्व का गुण होना अनिवार्य है।
महाराजश्री ने कहा कि हृदय का धर्म सद्आचरण को जन्म देता है और आचरण धर्मभाव को परिपुष्ट करता है। धर्म अभिव्यक्ति नहीं अनुभूति है। धर्म कथ्य नहीं कर्तव्य है, परिधि का अभिनय नहीं, केंद्र का आश्रम है। धर्म प्रदर्शन की नहीं, आत्म दर्शन की वस्तु है। उन्होंने कहा कि धर्म के अभाव में मनुष्य पशु के समान हो जाता है। धर्म प्रकट होने के उपरान्त व्यक्ति अपनी आत्मा में प्रवेश करने लगता है और सम्यक दर्शन की भूमिका बन जाती है। जैसे स्नान करने से शरीर में पवित्रता आती है वैसे ही अ¨हसा, संयम, तपरूपी धर्म में स्नान करने से आत्मा में पवित्रता आती है।
आयोजन में मूलवर्धन जैन, सुरेश जैन रितुराज, कौस्तुभ जैन, सुभाष जैन, योगेंद्र जैन, संजय जैन, हंस कुमार जैन, अनिल, रमेश, अमर, प्रमोद, विनोद, अजय, वीरेंद्र आदि का सहयोग रहा। प्रवक्ता सुनील जैन ने बताया कि शुक्रवार को मुनिश्री का शारदा रोड महावीर जयंती भवन के लिए सुबह आठ बजे विहार होगा।