बचपन के भोलेपन पर पारिवारिक त्रासदी का ग्रहण
सुशील कुमार, मेरठ वर्णिका और वनिता की उम्र ऐसी नहीं है कि वह कुछ न समझ सकें, लेकिन सब कुछ समझ सकें
सुशील कुमार, मेरठ
वर्णिका और वनिता की उम्र ऐसी नहीं है कि वह कुछ न समझ सकें, लेकिन सब कुछ समझ सकें ऐसा भी नहीं है। डॉक्टर शालिनी और विशाल की बेटियां वनिता फर्स्ट में और वर्णिका फोर्थ क्लास में सोफिया में पढ़ती हैं। परवरिश और शिक्षा का बेहतर माहौल उनकी बातचीत से झलकता है, लेकिन मम्मी-पापा के झगड़े ने उन्हें नियति के ऐसे क्रूर चक्र में फंसा दिया है जिसे वो दोनों समझ भी नहीं पा रही हैं।
जो बच्चियों ने बताया
रात को पापा-मम्मी बेडरूम में सोए, तो बड़ी मम्मी बीना आर्या के साथ वृनिका और वनिता सोईं थीं। दो बजे पापा ने बड़ी मम्मी (दादी) के कमरे की बेल बजाई। बोले, शालू की तबीयत खराब हो गई। बेल के साथ हम भी उठ गए। मम्मी उस समय बेड पर सिसक रही थीं। दो बार उल्टी भी कर चुकी थीं। तत्काल ही विक्रम अंकल को पापा ने बुलाया। तभी मम्मी के साथ हम सब अस्पताल पहुंचे, जहां पर अस्पताल में मम्मी नाम लेकर बुलाने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन बोल नहीं पा रही थीं। फिर बड़ी मम्मी हमें लेकर घर आ गई, जहां पर हम नौकरानी रुकसाना के साथ घर में रुक गए।
ऐसे शुरू हुआ था दिन में झगड़ा
दोनों बच्चियों ने बताया कि बड़ी मम्मी ने शालू मम्मी को दरवाजे पर स्वास्तिक बनाने को कहा था, जिसे बनाने के लिए कोई सामान नहीं मिल रहा था, इसी बात पर पापा मम्मी की लड़ाई हो गई। तभी हमने नानी कोमोबाइल पर कह दिया कि झगड़ा हो गया। नाना-नानी ने घर पर पहुंचकर चिल्लाना शुरू कर दिया। पापा को बोलने लगे कि महीने में दो या एक बार विदेश में मौज मस्ती करने जाते हो। पापा कह रहे थे ऐसा कुछ नहीं है। बड़ी मम्मी भी बोलने लगीं। तभी नाना और नानी को घर से वापस भेज दिया गया। पापा और मम्मी भी क्लीनिक पर चले गए थे। फिर रात में अचानक मम्मी की तबीयत बिगड़ गई।
मम्मी ही करातीं थी होमवर्क
बातचीत के क्रम में बच्चियां बोलते-बोलते बहुत कुछ बता जाती हैं। बच्चियों ने बताया कि बड़ी मम्मी के कमरे से स्कूल जाने के लिए मम्मी ही रोजाना गुड मार्निग बोल उठाती थीं। स्कूल से आने के बाद मम्मी खुद होमवर्क कराती थीं। कुछ समय के लिए टीवी देखते और गेम खेलते और फिर रात में बड़ी मम्मी के साथ सो जाते थे। मम्मी अक्सर दूध नहीं पीती थीं। बुआ सपना अक्सर मम्मी को काल कर कहती थीं दूध ले लेना। मम्मा झूठ बोलती थीं कि दूध ले चुकी हूं। कोई सामान नहीं मिलता तो पापा मम्मी एक दूसरे से नाराज हो जाते थे।
हमारे एग्जाम होने वाले हैं
हमारे स्कूल में एग्जाम होने वाले हैं, मम्मी उसकी तैयारी करा रही थीं। अब हम एग्जाम कैसे देंगे? दोनों बच्चियां अभी भी मम्मी के अस्पताल में होने की बात जानती हैं। बोलीं, कल जब मम्मी को घर पर लाया गया था। तब भीड़ लगी हुई थी। अब मम्मी अस्पताल में हैं, हमें तो बड़ी मम्मी के पास जाना है। बड़ी मम्मी से फोन पर बातें भी हुई थीं। अब हमारे स्कूल का क्या होगा?
देर रात बच्चियों को ले गए नाना-नानी
डॉक्टर शालिनी के प्रकरण में पिता डॉक्टर विशाल आर्या और दादी के नामजद होने के बाद दोनों बच्चे इधर से उधर भटक रहे हैं। सबसे पहले उन्हें नौकरानी रुकसाना की देखरेख में घर में अंदर रखा गया। उसके बाद दादी ने दोनों बच्चों को बीस साल पुराने नौकर दिलशाद को दे दिया। वहां से नाना-नानी बच्चों को लेकर आ गए। मौसी शिल्पी और सोनिया दोनों बच्चों को मेडिकल स्टोर स्वामी विक्रम के घर छोड़ गए। हालांकि कि देर रात दोनों बच्चियों को नाना-नानी के घर ले जाया गया।
मैक डोनाल्ड में पिज्जा खाया, मिलांज में मूवी देखी
विशाल आर्य की क्लीनिक के पास मेडिकल स्टोर चलाने वाले विक्रम ने पुलिस को बताया कि डाक्टर विशाल आर्या अपनी पत्नी शालिनी आर्या के साथ उस रात रुड़की रोड स्थित मैक डोनाल्ड में पिज्जा खाने गए थे। वहां से लौटने के बाद दोनों ने मिलांज में 'आल इज वेल' मूवी देखी। उसके बाद घर लौट गए। तभी रात को दो बजे विशाल की काल आई कि शालिनी की तबीयत खराब हो गई।