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मुकाबले की लीग से बाहर हो चुका है पाक

मेरठ : सीमा पार से युद्धविराम का उल्लंघन और फाय¨रग को भारतीय सेना के पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल जेजे सिंह

By Edited By: Published: Wed, 02 Sep 2015 02:14 AM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2015 02:14 AM (IST)
मुकाबले की लीग से बाहर हो चुका है पाक

मेरठ : सीमा पार से युद्धविराम का उल्लंघन और फाय¨रग को भारतीय सेना के पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल जेजे सिंह पाक की पुरानी फितरत मानते हैं। जब भी भारत-पाक के बीच वार्ता का माहौल बनता है या सकारात्मक दिशा में दोनों देश बढ़ते हैं तो सीमा पार से ऐसी ओछी हरकतें की जाती हैं। लेकिन उन्हें समझ लेना चाहिए कि पाकिस्तान अब हमसे मुकाबले की लीग से बाहर हो चुका है। भारत एक संपन्न, मजबूत और बड़ा राष्ट्र बन चुका है। मेरठ में अपने दोस्तों से मिलने पहुंचे जनरल सिंह ने वन रैंक वन पेंशन पर भी दैनिक जागरण संवाददाता रवि प्रकाश तिवारी से खुलकर बात की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश..

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सवाल: आखिर भारत-पाक वार्ता के दौरान ही सीमा पर टेंशन क्यों बढ़ जाती है?

जवाब: दोनों मुल्क की अवाम शांति चाहती है। सरकारें भी अवाम के साथ बढ़ना चाहती हैं। लेकिन पाक में सेना और आइएसआइ सत्ता में भले न हों, लेकिन शक्ति का केंद्र बने रहना चाहते हैं। अगर भारत-पाक दोस्त बन जाएंगे तो इनकी लोकतांत्रिक सत्ता को शक्ति मिलेगी और इन पावर ब्रोकर्स का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। हमें नहीं, पाक को ज्यादा सोचने की जरूरत है।

सवाल: आप समेत 10 सेनाध्यक्षों (सात थल, दो वायु और एक नौ सेना) ने वन रैंक वन पेंशन पर पीएम को पत्र लिखकर इस मांग को स्वीकार करने की गुहार लगाई थी। धरना-अनशन अब भी जारी है। कहां अटकी है बात?

जवाब: देखिए, मोदी सरकार सैद्धांतिक तौर पर पूर्व सैनिकों की मांगों को मान चुकी है। हमारी मांग जायज है। भारतीय सेना रोल मॉडल है। जब हम सेवाओं के हर मानक पर खरे उतरे हैं तो फिर हमें हक भी मिलना चाहिए। खासकर वीर नारियों, जेसीओ और उससे नीचे के रैंक के फौजियों के लिए वन रैंक वन पेंशन जरूरी है। मेरी समझ से बात सिर्फ एक मुद्दे पर अटकी है कि सरकार पेंशन रिवीजन प्रति पांच वर्ष पर करना चाहती है जबकि पूर्व फौजी प्रतिवर्ष। मेरा मानना है कि बर्फ दोनों ओर से पिघलेगी और बीच का रास्ता जल्द निकलेगा।

सवाल: आप सेनाध्यक्ष भी रह चुके हैं और अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे हैं? दोनों में क्या अंतर पाया?

जवाब: दोनों में काफी अंतर होता है। आर्मी चीफ का ओहदा काफी ऊंचे दर्जे का ओहदा है। देश की सुरक्षा का भार आप पर सातों दिन चौबीसों घंटे होता है। चीन से लेकर पाक की सीमा तक लगभग 30 फीसदी फौज सीमा पर तैनात रहती है। हर फौजी का ख्याल रखना होता है। समानांतर रूप से किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयारी करनी होती है। राज्यपाल की भूमिका एक पिता के समान होती है। संवैधानिक कर्तव्यों के निर्वहन के साथ आम जनता की जरूरतों को समझना और उनके लिए कुछ करना मैंने लक्ष्य रखा था।

इनसेट

मेरठ में स्कूल की शुरुआत की, बाद में डिव कमांड की

मेरठ से अपने संबंधों के बारे में जनरल जेजे सिंह कहते हैं कि वे जब पांच साल के थे, तब से मेरठ से उनका नाता है। उनके पिता बेस वर्कशॉप में 1951 में बतौर कैप्टन पोस्टेड थे। तब वे छावनी स्थित सेंट जोंस स्कूल में एक वर्ष तक पढ़े थे। इसके बाद उन्हें मेरठ में रहने का मौका तब मिला जब वे पाइन डिव के जीओसी बनकर आए थे। जनरल सिंह का मेरठ स्थित पाइन डिव में जनरल ऑफिसर कमांडिंग का कार्यकाल 1996-1997 तक रहा।

परिचय

जनरल (रि.) जेजे सिंह

पत्‍‌नी: अनुपमा

निवास: महरौली, नई दिल्ली

प त्र: विवेक पाल सिंह

हाल ही में फ्रांस के नॉरमंडी में फ्रांसीसी उम्मीदवार को हराकर फ्रांस में पहले भारतीय मूल के म्यूनिसिपल काउंसलर चुने गए। साथ ही हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों का व्यापार।

पुत्री: उर्वशी कौर, नई दिल्ली

फैशन डिजाइनर। हाल ही में लक्मे फैशन वीक-मुंबई में 27 डिजाइनों को मॉडल के माध्यम से रैंप पर उतारा


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